एंडी मरे : मुश्किल समय का हीरो
विंबलडन के पिछले दो हफ़्तों के खेल और इसके पीछे पिछले पूरे साल की मेहनत का अंत ब्रिटेन के लिए काफी खुशगवार रहा , एंडी मरे ने यहाँ दूसरी बार विंबलडन का ख़िताब जीत लिया। एंडी मरे से पिछले दिनों जब कहा गया था की ब्रिटेन की हालत अच्छी नहीं है, ब्रिटेन को एक नया प्रधानमंत्री चाहिए, एक नया फुटबॉल कोच चाहिए, एक नया टॉप गियर शो का होस्ट चाहिए और वेल्स फुटबॉल हार गया है, ऐसे में ब्रिटेन की आखिरी उम्मीद बनकर कैसा लग रहा है, एंडी ने उस सवाल का जवाब कल दे दिया , किसी मिशन की ही तरह कल मरे ने गलती की कोई गुंजाईश नहीं रखते हुए ब्रिटेन को आखिरकार कुछ खुशियाँ मनाने का मौका दे दिया। कल मरे ने कहा की विंबलडन के फाइनल में खेलना मुश्किल था, खासकर जब प्रधानमंत्री बैठकर मैच देख रहें हो , मगर वो प्रधानमंत्री नहीं बनाना चाहेंगे क्योंकि वो काम नामुमकिन है, और जब मरे यह कह रहे थे तब प्रधानमंत्री की हूटिंग हो रही थी मगर विंबलडन में मौजूद शायद ही कोई मरे से जरा भी नाखुश रहा हो, और कल के दिन मरे से बड़ा हीरो ब्रिटेन के लिए कोई नहीं था, जिसने यहाँ के लोगों के चेहरे पर फिर से नयी मुस्कान ला दी थी ।
टूर्नामेंट में 130 से ज्यादा एस लगा चुके राओनिच ने कल कुल जमा 8 एस ही लगाई, साथ ही पहले सेट की शुरुवात और दूसरे सेट के टाइब्रेकर में बेहद आसान शॉट भी वे नहीं खेल पाये और यही बातें बताती है ,की राओनिच कितना बंधकर खेले , कार्लोस मोया और जॉन मेकेनरो जैसे कोच होते हुए और सेमीफाइनल में फेडरर पर जीत के बावजूद विंबलडन फाइनल खेलने का दबाव उनपर हावी हो गया था, मगर इन सबके बीच मरे की तारीफ़ करनी होगी जिन्होंने विंबलडन इतिहास की दूसरी सबसे तेज़ सर्विस , जो की 147 माइल्स प्रति घंटे से राओनिच ने की थी , को ना सिर्फ उठाने में कामयाब रहे , बल्कि उस सर्विस पर पॉइंट भी उन्होंने जीता, और जब ऐसा हो रहा हो तो सामने वाले खिलाडी के पास करने को कुछ नहीं रहा जाता है । वैसे भी एक बेहद बढ़िया मैच के बाद उसी फॉर्म को बनाये रखना मुश्किल रहता है, और फेडरर के खिलाफ शायद राओनिच शायद अपना सबसे बढ़िया खेल दिखा चुके थे , उनको यहाँ जीतने के लिए अभी काफी कुछ सीखना बचा है, और जिस तरह वे पिछले सालों में निखर रहें है, वे जल्द ही यह सीख भी लेंगे।
औरंगि टेरेस के टीले को ब्रिटिश टेनिस के हीरो टिन हेनमेन के नाम पर हेनमेन् हिल के नाम से ज्यादा जाना जाता है, मगर मरे की सफलताओं के बाद इसको मरे माउंड भी कहा जाता है, और इन दोनों नामों में से किसको इस्तेमाल करना चाहिए इसपर बहस चलती ही रहती है, मगर कल मरे ने दूसरी बार विंबलडन जीतकर मरे माउंड के हक़ में माहौल तो बना लिया है, मगर खुद मरे के अनुसार हेनमेन हिल टिम के नाम पर ही बना रहे तो उनको कोई ऐतराज नहीं है, और मरे अपने ग्रैंड स्लैम खिताबों से खुश है।