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बुधवार, 9 जुलाई 2014 (17:38 IST)
ब्राजीली मीडिया ने हार को बताया सबसे शर्मनाक
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साओ पाउलो। ब्राजील की मीडिया ने जर्मनी के हाथों विश्व कप सेमीफाइनल में टीम की 1-7 की हार को सबसे शर्मनाक हार बताया और कहा कि टीम के इतिहास में इससे बदतर हार कभी नहीं मिली।
जर्मनी के हाथों मिली इस शिकस्त से फुटबॉल का दीवाना मेजबान देश गम के सागर में डूब गया है। 20 करोड़ की जनसंख्या वाले ब्राजील को उम्मीद थी कि उनकी टीम 1950 विश्व कप के फाइनल में उरुग्वे के खिलाफ अपनी मेजबानी में मिली हार को भुलाकर इस बार खिताब जीतने में सफल रहेगी, तब माराकाना स्टेडियम में मिली हार ‘माराकानाजो’ के नाम से कुख्यात हुई थी।
ब्राजील को अब अपने 100 साल के फुटबॉल इतिहास में सबसे बदतर हार का सामना करना पड़ा है और जर्मनी के हाथों बेलो होरिजोंटे के मिनेइराओ स्टेडियम में मिली यह हार ‘मिनेइराजो’ के नाम से कुख्यात हो गई है। विशेषज्ञों ने हालांकि कहा है कि मिनेइराजो की तुलना माराकानाजो से नहीं की जा सकती।
खेल दैनिक 'लांस' के विशेषज्ञ मिशेल कास्टेलर ने कहा कि 1950 में हमने सोचा था कि हमारी टीम अजेय है और माराकाना में हार के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था।
उन्होंने कहा कि इस बार हमें पता था कि हमारे पास ऐसी टीम है जिसमें कई कमियां हैं और शायद वे फाइनल में नहीं पहुंचे। क्या यह राष्ट्रीय शर्म की बात है? हां, हमने जितने गोल खाए उसे देखते हुए, लेकिन यह नया माराकानाजो नहीं है।
प्रतिष्ठित खेल विशेषज्ञ जुका फोरी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि यह वयस्क और बच्चों के बीच मैच लग रहा था। ब्राजीली फुटबॉल ने कभी इस तरह की शर्मनाक स्थिति का सामना नहीं किया। देश के समाचार-पत्रों ने इसे टीम के इतिहास की सबसे शर्मनाक हार बताया है और ‘ग्लोबस्पोर्टी.कॉम’ ने इसे सबसे बदतर हार करार दिया।
लांस ने मंगलवार रात की हार को ‘इतिहास की सबसे शर्मनाक स्थिति’ करार दिया है। समाचार-पत्र ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि माराकानाजो अब कुछ नहीं बचा और यह सिर्फ अतीत की चीज बनकर रह गया है।
दैनिक 'फोल्डा डि साओ पाउलो' ने इसे ऐतिहासिक शर्म की स्थिति करार देते हुए कहा कि अपने घर में कप जीतने के प्रयास में ब्राजील को एक बार फिर शर्मसार होना पड़ा। (भाषा)