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Written By WD

सेवा के सही मायने

सेवा के सही मायने -
- सतमीकौ
ND

गुरु घर (सिक्ख धर्म) में सेवा का बहुत महत्त्व है। गुरु जी ने खुद भी संगत की सेवा की है और हमेशा सेवा करने का आदेश दिया है। गुरु घर के सेवादारों में एक प्रमुख सेवादार थे भाई घनैया जी। भाई घनैया जी गुरु गोबिंद सिंघ जी के दरबार में सेवा करते थे।

भाई घनैया जी बहुत निर्मल स्वभाव के थे और गुरु घर में बहुत ही प्यार से सेवा करते थे। जब गुरु गोबिंद सिंघ जी जुल्म का विरोध करते हुए युद्ध लड़ रहे थे उस समय भाई घनैया जी निडर हो कर गुरु जी की सेना को पानी पिलाने की सेवा करते थे। पर भाई घनैया जी सिर्फ गुरू जी की सेना को ही नहीं बल्कि दुश्मन की सेना को भी पानी पिलाते थे। वो सेवा करते समय कभी ये नहीं सोचते थे कि जिसे वो पानी पिला रहे है, वो दोस्त है या दुश्मन।

घनैया जी कि इस सेवा से नाराज हो कर गुरु जी की सेना के कुछ लोग गुरु साहिब जी के पास पहुँचे और कहा कि भाई घनैया जी अपनी सेना के साथ-साथ दुश्मनों को भी पानी पिला रहे हैं। उन्हें रोका जाए। गुरू गोबिंद सिंघ जी ने भाई घनैया जी को बुलाया और कहा तेरी शिकायत आई है।

भाई घनैया जी ने शिकायत सुनी और कहा गुरु साहिब जी मैं क्या करु मुझे तो जंग के मैदान में कोई नज़र ही नहीं आता मैं जहाँ भी देखता हुँ मुझे सिर्फ आप नज़र आते है और मैं तो जो भी सेवा करता हुँ वो सब आपकी ही होती है। उन्होनें कहा गुरु साहिब जी आप ने कभी भेदभाव करने का पाठ सिखाया ही नहीं। गुरू गोबिंद सिंघ जी भाई घनैया जी की बात सुन कर बहुत खुश हुए और उन्होनें कहा कि भाई घनैया जी आप गुरू घर के उपदेशों को सही मायने में समझ गए हैं।

गुरू गोबिंद सिंघ जी ने शिकायत करने आए लोगों से कहा कि हमारा कोई दुश्मन नहीं है। किसी धर्म, व्यक्ति से अपनी कोई दुश्मनी नहीं है। दुश्मनी है,जालिम के जुल्म से ना कि किसी इन्सान से इसलिए सेवा करते समय सभी को एक जैसा ही मानना चाहिए। गुरू साहिब जी ने भाई घनैया जी को मल्हम और पट्टी भी दी और कहा, ' जहाँ आप पानी पिलाते हैं वहाँ दवाई लगा कर भी सब की सेवा की‍जिए।'

गुरु जी के उपदेशानुसार हमें याद रखना चाहिए कि सेवा करते समय हमारी दृष्टि सदैव समान रहें।