राहु ग्रह के लिए पूजें कर्कोटेश्वर महादेव को
10वें महादेव लिंग कर्कोटेश्वर (राहु ग्रह के आधिपत्य)
पौराणिक कथा : स्कन्दपुराण के अवंतिखण्ड में एक बार सर्पों को माता पार्वती ने श्राप दिया कि वे सभी जन्मेजय के यज्ञ की अग्नि में जल जाएंगे। इस पर कुछ सर्प हिमालय पर तपस्या करने चले गए। कंबल नामक सर्प ब्रह्मलोक में नागेन्द्र शंखचूड़ मणिपुर में तथा कालिया नामक सर्प यमुना में जाकर रहने लगे। ब्रह्माजी ने सर्पों ने बताया कि वे माता की गोद में बैठे थे। ब्रह्माजी के सामने उन्होंने श्राप दिया और ब्रह्माजी ने कुछ नहीं कहा। इस पर ब्रह्मा ने उन्हें कहा कि वे सभी महाकाल वन जाएं और शंकर की आराधना करें। इस पर कर्कोटेश्वर नामक सर्प स्वेच्छा से महाकाल वन जाकर एक शिवलिंग के सामने बैठा और शंकर की आराधना करने लगा। शंकर प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि जिस शिवलिंग के सामने बैठकर तपस्या की वही कर्कोटेश्वर लिंग के नाम से प्रसिद्ध होगा। उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर परिसर में यह मंदिर स्थित है। इनके दर्शन के सर्पदंश के भय से मुक्ति मिलती है।विशेष- कृष्ण पक्ष पंचमी व चतुर्दशी अमावस्या को पूजन और अभिषेक से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती हैं। श्रावण मास में राहु की शांति के लिए इनका रूद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता है।दान- कंबल, तिल, नारियल।