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Last Modified: मंगलवार, 19 जुलाई 2022 (10:34 IST)

सावन सोमवार जितना ही है सावन मंगलवार का महत्व, मंगला गौरी पूजा से शिव के साथ मां पार्वती भी देती हैं आशीर्वाद

Gangaur isar and gauri
mangala gauri vrat : सावन माह में जहां सोमवार के दिन शिवजी की विशेष पूजा होती है वहीं मंगलवार को माता पार्वती की पूजा भी होती है। मंगला गौरी पूजा से शिव के साथ मां पार्वती भी देती हैं आशीर्वाद। इस व्रत का खास महत्व है। श्रावण माह के हर मंगलवार को मनने वाले इस व्रत को मंगला गौरी व्रत (पार्वतीजी) नाम से ही जाना जाता है। इस बार यह व्रत 19 जुलाई 2022 को रखा जा रहा है।
 
महत्व :
मंगला गौरी का स्वरूप : देवी मंगला मूल आद्य शक्ति गौरी का ही मंगल स्वरूप है। अर्थात इस स्वरूप में गौरी माता अपने भक्तों का शुभ करती हैं। गौरी का यह मंगलकारी स्वरूप सिंदूरी आभा लिए हुए है। देवी मंगला गौरी के स्वरूप का संबंध मंगल ग्रह और स्त्री के अखंड सौभाग्य से है। दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है। यह माता वृषभ पर सवार हैं।  इनके चार हाथ हैं। इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। इनके वस्त्र भी सफेद रंग के हैं और सभी आभूषण भी श्वेत हैं जिस कारण इन्हें श्वेतांबरी भी कहा जाता है। 
 
महागौरी : मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं। इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है। यह माता का आठवां स्वरूप है। इन्हें अष्टमी की देवी भी कहा जाता है। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण विश्व में विख्यात हुईं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान् शिव को पतिरूप में पाने के लिए इन्होंने हजारों सालों तक कठिन तपस्या की थी जिस कारण इनका रंग काला पड़ गया था परंतु बाद में भगवान शिव ने गंगा के जल से इनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और इनका नाम महागौरी विख्‍यात हुआ।
मंगला गौरी व्रत करने के लाभ :
1. भविष्य और नार पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन माता मंगला गौरी का पूजन करके मंगला गौरी की कथा सुनना फलादायी होता है। 
 
2. ज्योतिषीयों के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है। अत: ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।
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