Sarva pitru amavasya ke upay: हिंदू पंचांग के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या का दिन पितरों को विदा करने का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन, जब इस पवित्र तिथि पर ग्रहण का साया पड़ता है, तो इसका आध्यात्मिक महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है, लेकिन कुछ विशेष उपाय करने से इस समय को भी शुभ बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं ऐसे चार अचूक उपाय, जो ग्रहण के अशुभ प्रभाव को खत्म कर आपको पितरों का आशीर्वाद दिला सकते हैं।
1. पीपल के पेड़ की पूजा : पीपल का पेड़ अत्यंत पवित्र माना जाता है और यह माना जाता है कि इसमें सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास होता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन, विशेषकर जब ग्रहण हो, तो पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत ही लाभकारी होता है। ग्रहण शुरू होने से पहले और उसके बाद, पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जलाएं। पेड़ की परिक्रमा करते हुए 'ॐ सर्व पितृ देवाय नमः' मंत्र का जाप करें। यह क्रिया पितरों को शांति प्रदान करती है और ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को शांत करती है।
2. अमावस्या का दान: अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व है, और जब इस दिन ग्रहण हो, तो दान का फल अनंत गुना हो जाता है। ग्रहण काल में दान करने से आपके जीवन के कष्ट दूर होते हैं और आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल और धन का दान करें। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान किए गए दान से पितर बहुत प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
3. पंचबली कर्म: पंचबली कर्म पितरों को सीधे भोजन पहुंचाने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पंचबली कर्म यानी पाँच जीवों - गाय, कुत्ता, कौआ, देवता और चींटियों के लिए भोजन निकालें। यह भोजन पितरों के सम्मान में अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि इन जीवों के माध्यम से भोजन सीधे हमारे पूर्वजों तक पहुंचता है, जिससे वे तृप्त होते हैं और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
4. पितरों को खीर का भोग: खीर पितरों का पसंदीदा व्यंजन माना जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन, विशेष रूप से ग्रहण के प्रभाव को शांत करने के लिए, चावल और दूध से बनी खीर का भोग पितरों को लगाएं। इस खीर को किसी पवित्र स्थान, जैसे पीपल के पेड़ के नीचे या किसी ब्राह्मण को अर्पित करें। यदि संभव हो तो, इसे छत पर कौवों के लिए रखें। यह क्रिया पितरों को प्रसन्न करती है और आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाती है।
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