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महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि : श्राद्ध पक्ष का एक अच्छा दिन,जब कर सकते हैं शुभ काम

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि : श्राद्ध पक्ष का एक अच्छा दिन,जब कर सकते हैं शुभ काम - Gajalakshmi Vrat Poojan Vidhi
Mahalakshmi 2020: श्राद्ध पक्ष में आने वाली अष्टमी को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इसे गजलक्ष्‍मी व्रत कहा जाता है। इस दिन सोना खरीदने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन खरीदा सोना आठ गुना बढ़ता है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है।

श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं। इस समय में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। लोग नई वस्तुएं, नए परिधान नहीं खरीदते और ना ही पहनते हैं लेकिन इस पक्ष में आने वाली अष्‍टमी तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। इसे गजलक्ष्‍मी व्रत, महालक्ष्मी व्रत, हाथी पूजा कहा जाता है, इस वर्ष यह 10 सितम्बर को है।  
 
 पशु धन दात्री की देवी को गजलक्ष्मी कहा जाता है। पशुओं में हाथी को राजसी माना जाता है। गजलक्ष्मी ने भगवान इंद्र को सागर की गहराई से अपने खोए धन को हासिल करने में मदद की थी। गजलक्ष्मी का वाहन सफेद हाथी है।
 
गजलक्ष्‍मी व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है। शाम के समय स्नान कर पूजास्‍थान पर लाल कपड़ा बिछाएं। केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रखें। फिर जल से भरा कलश रखें। अब कलश के पास हल्दी से कमल बनाएं. इस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बनाकर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। अगर संभव हो तो इस दिन नया सोना खरीदकर उसे हाथी पर चढ़ाएं। अपनी श्रद्धानुसार सोने या चांदी का हाथी भी ला सकते हैं। इस दिन चांदी के हाथी का ज्यादा महत्व माना गया है। इसलिए अगर संभव हो तो पूजा स्थान पर चांदी के हाथी का प्रयोग करें। इस दौरान माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से मां का पूजन करें। 
 
सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें. मां लक्ष्‍मी के इन नामों का जाप करें। 
 
– ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:
– ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:
– ॐ कामलक्ष्म्यै नम:
– ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:
– ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:
– ॐ योगलक्ष्म्यै नम:
 
आखिर में घी के दीपक से पूजा कर कथा सुनें, माता लक्ष्मी की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
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