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Written By WD

हमें अपने पितृ से जोड़ता श्राद्ध पर्व

गयासुर नामक राक्षस ने मांगा था वरदान

Shradhh Parv | हमें अपने पितृ से जोड़ता श्राद्ध पर्व
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पौराणिक मान्यताओं और किंवदंतियों के अनुसार भस्मासुर के वंशजों में गयासुर नामक राक्षस ने कठिन तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था कि उसका शरीर देवताओं की तरह पवित्र हो जाए और लोग उसके दर्शन मात्र से पाप मुक्त हो जाएं।

यह वरदान मिलने के बाद स्वर्ग की जनसंख्या बढ़ने लगी और सब कुछ प्रकृति के नियमों के विपरीत होने लगा।

लोग बिना भय के पाप करने लगे और गयासुर के दर्शन से पाप मुक्त होने लगे। इससे बचने के लिए यज्ञ करने को देवताओं ने गयासुर से पवित्र स्थान की मांग की।

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गयासुर ने अपना शरीर देवताओं को यज्ञ के लिए दे दिया। जब गयासुर लेटा तो उसका शरीर पांच कोस में फैल गया। यही पांच कोस जगह आगे चलकर गया बनी। परंतु गयासुर के मन से लोगों को पाप मुक्त करने की इच्छा नहीं गई और फिर उसने देवताओं से वरदान मांगा कि यह स्थान लोगों को तारने वाला बना रहे।

श्राद्ध के माध्यम से यह पर्व हमें अपने पितृ से जोड़ता है। इस तरह श्राद्ध की परंपरा अपने प्रियजनों और परिवार के प्रति स्नेह, श्रद्धा भाव से ओतप्रोत करती हैं।

जो भी लोग यहां पर किसी के तर्पण की इच्छा से पिंडदान करें, उन्हें मुक्ति मिले। यही कारण है कि आज भी लोग अपने पितृ को पिंड देने के लिए गया आते हैं।