27 नक्षत्रों में से एक आठवां नक्षत्र पुष्य है और 28वां नक्षत्र अभिजीत है। पुष्य नक्षत्र में लोग अक्सर सोना खरीदते हैं, लेकिन क्या यह उचित है? क्या विवाह करना उचित है? पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए? आओ जानते हैं इन प्रश्नों के उत्तर।
पुष्य का अर्थ पोषण होता है। इसे 'ज्योतिष्य और अमरेज्य' भी कहते हैं। 'अमरेज्य' शब्द का अर्थ है- देवताओं का पूज्य। पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।
पुष्य नक्षत्र के नाम पर एक माह पौष है। 24 घंटे के अंतर्गत आने वाले तीन मुहूर्तों में से एक 20वां मुहूर्त पुष्य भी है। कुछ खास मुहूर्त जैसे सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि आदि में गुरुपुष्यामृत और रविपुष्यामृत योग का भी नाम आता है।
पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। जैसे- गुरुवार को आने पर गुरु-पुष्य, रविवार को रवि-पुष्य, शनिवार के दिन शनि-पुष्य और बुधवार के दिन आने पर बुध-पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। सभी दिनों का अलग-अलग महत्व होता है। गुरु-पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं।
सोना खरीदना चाहिए या नहीं?
- इस नक्षत्र के स्वामी शनि हैं जो चिरस्थायित्व प्रदान करते हैं और इस नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं जिसका कारक सोना है। इसी मान्यता अनुसार इस दिन खरीदा गया सोना शुभ और स्थायी माना जाता है।
- लेकिन मुहूर्त चिंतामणि नक्षत्र प्रकरण ग्रंथ के श्लोक 10 के अनुसार, पुष्य, पुनर्वसु और रोहिणी इन तीन नक्षत्रों में सधवा स्त्री नए स्वर्ण आभूषण और नए वस्त्र धारण नहीं करें, ऐसा लिखा है।
- मतलब यह कि इस दिन संभवत: स्वर्ण तो खरीदा जा सकता है लेकिन पहना नहीं जा सकता?
तब क्या करें पुष्य नक्षत्र में?
- इस नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला, पढ़ाई व वाहन खरीदना उत्तम माना जाता है। इसमें मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी शुभ माने गए हैं।
- पुष्य नक्षत्र के दिन दिन सोना, चांदी, पीतल के बर्तन, पीले कपड़े, जेवर, भूमि, भवन, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं आदि खरीदना शुभ माना गया है।
- गुरु-पुष्य या शनि-पुष्य योग के समय छोटे बालकों के उपनयन संस्कार और उसके बाद सबसे पहली बार विद्याभ्यास के लिए गुरुकुल में भेजा जाता है।
- इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
- इस दिन बहीखातों की पूजा करें व लेखा-जोखा भी शुरू करें। इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है। इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
- दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन भी करें और यथाशक्ति दान भी कर सकते हैं।
- इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे ज्ञान या विद्या आरम्भ करना, कुछ नया सीखना, दुकान खोलना, लेखक हैं तो कुछ नया लिखना आदि।
- इसके अलावा पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है। इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है।
पुष्य नक्षत्र में क्या नहीं करना चाहिए?
- विदवानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है।
- बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। अत: इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु खरीदें।