शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

समुद्र या नदी से उत्पन्न ये 9 चमत्कारिक वस्तुएं...

समुद्र या नदी से उत्पन्न ये 9 चमत्कारिक वस्तुएं... - sea things
धरती पर समुद्र का हिस्सा 70 से 75 प्रतिशत है। 25 से 30 प्रतिशत धरती पर अधिकतर हिस्सा नदियों और उनके जंगलों का है। एक ओर जहां नदियों को लगभग खत्म करने की पूरी तैयारी कर ली गई है वहीं अब समुद्र की संपदा का पिछले कई वर्षों से खतरनाक तरीके से दोहन और भक्षण किया जा रहा है, जिसके चलते कई दुर्लभ जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है। भारत की समुद्री संपदा को आसपास को पड़ोसी देश लूट कर ले जाते रहे हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है।
 
धरती पर प्रमुख रूप से कुल 5 महासागर हैं- प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, आर्कटिक महासागर तथा दक्षिणी महासागर। इसके अलावा कैस्पियन सागर, मृत सागर, लाल सागर, उत्तर सागर, लापतेव सागर, भूमध्य सागर हैं। इसके अलावा 2 प्रमुख खाड़ियां हैं- बंगाल की खाड़ी और अरब की खाड़ी। 
 
प्रमुख नदियों में नील, अमेजन, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, वोल्गा, टेम्स, गंगा, हडसन, मर्रे डार्लिंग, मिसीसिपी, मैकेंजी, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कांगो, यांग्त्सी, मेकोग, लेना, आमूर, ह्वांगहो आदि नदियां हैं।
 
उक्त संपूर्ण जलनिधि या जलराशि में अथाह जल है। इन जलराशियों में लाखों तरह के जीव-जंतु और प्रजातियां निवास करती हैं। इन्हीं जलराशियों में हजारों ऐसी वस्तुएं हैं, जो कहीं चिकित्सा की दृष्टि से सबसे उत्तम हैं तो कहीं आयु बढ़ाने के लिए। लेकिन इस सबके अलावा ऐसी भी दैवीय वस्तुएं हैं जिनके आपके घर या पास में होने से यह चमत्कारिक रूप से आपको आर्थिक और शारीरिक लाभ देने लगती हैं। आओ हम जानते हैं इसी तरह की वस्तुओं के बारे में।
 
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समुद्री नमक : यूं तो बाजार में खाने का नमक मिलता है, लेकिन आसानी से समुद्री नमक भी मिल जाता है। इस समुद्री नमक के कई उपयोग हैं। एक उपयोग यह है कि मान्यता अनुसार घर में इसका पोंछा लगाने से दरिद्रता दूर होती है। एक कांच की कटोरी में खड़ा नमक (समुद्री नमक) भरें और इस कटोरी को बाथरूम में रखें। इस उपाय से भी नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। 
 
नमक में अद्भुत शक्तियां होती हैं, जो सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को नष्ट कर देती हैं। इसके अलावा इससे घर आई दरिद्रता का भी नाश होता है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। 
 
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गोमती चक्र : गोमती चक्र समुद्र और नदी से प्राप्त एक दुर्लभ और चमत्कारी वस्तु है, लेकिन गोमती चक्र को 'गोमती चक्र' इसलिए कहते हैं कि यह प्राकृतिक रूप से बना चक्र गोमती नदी में ज्यादातर पाया जाता है। समुद्री और नदी किनारों पर लोग सीप से मिलते-जुलते सामान को खोजते रहते हैं, वहीं गोमती चक्र भी पड़े मिल जाते हैं।
 
इनकी पहचान करने के लिए अगर पलटकर देखा जाए तो हिन्दी संख्या ७ लिखी मिलती है। इस चक्र के एक तरफ उठी हुई सतह होती है और दूसरी तरफ कुछ चक्र होते हैं। इन चक्रों को लक्ष्मीजी का प्रतीक माना जाता है। यह बच्चों की नजर उतारने और घर में समृद्धि बढ़ाने के काम में आता है।
 
मकान का वास्तुदोष निवारण के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। 4 गोमती चक्र को निश्चित मुहूर्त में सिन्दूर के साथ लाल कपड़े में बांधकर मकान के मुख्य दरवाजे के ऊपर अंदर की तरफ लटका देने से किसी भी प्रकार का वास्तुदोष होने पर उसके अंदर सहायता मिलती है।
 
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लक्ष्मी का प्रतीक कौड़ियां : पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखें। दो कौड़ियों को खुद की जेब में भी हमेशा रखें, इससे धनलाभ होगा। 
 
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शंख का महत्व : शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त 14 अनमोल रत्नों में से एक है। लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे 'लक्ष्मी भ्राता' भी कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। घर में शंख जरूर रखें।
 
शंख के कई उपयोग और महत्व हैं। शंख बजाने से जहां सेहत में लाभ मिलता है और घर का वातावरण शुद्ध होता है वहीं इसके घर में रखे रहने से आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृदोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है। इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिए भी जाना जाता है। उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में पाए जाते हैं।
 
शंख तो कई पाए जाते हैं लेकिन पाञ्चजन्य शंख मिलना मुश्किल है। समुद्र मंथन के दौरान इस शंख की उत्पत्ति हुई थी। 14 रत्नों में से एक पाञ्चजन्य शंख को माना गया है। शंख को ‍विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि शंख नाद का प्रतीक है। शंख ध्वनि शुभ मानी गई है।
 
1928 में बर्लिन यूनिवर्सिटी ने शंख ध्वनि का अनुसंधान करके यह सिद्ध किया कि इसकी ध्वनि कीटाणुओं को नष्ट करने की उत्तम औषधि है। 
 
शंख 3 प्रकार के होते हैं- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। इनके अलावा लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख आदि प्रकार के होते हैं।
 
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शिवलिंग और शालिग्राम : शिवलिंग जहां भगवान शंकर का प्रतीक है, तो शालिग्राम भगवान विष्णु का। शिवलिंग की तरह शालिग्राम भी बहुत दुर्लभ है। अधिकतर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ, काली गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है।
 
विस्तार से जानने के लिए पढ़िए... शिवलिंग और शालिग्राम का रहस्य जानिए...
 
काले और भूरे शालिग्राम के अलावा सफेद, नीले और ज्योतियुक्त शालिग्राम का पाया जाना तो और भी दुर्लभ है। पूर्ण शालिग्राम में भगवान विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है। शालिग्राम कई प्रकार के होते हैं। दोनों ही के घर में रहने से घर की ऊर्जा सकारात्मक रहती है और जीवन में शांति बनी रहती है। 
 
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मणि और नग : कौस्तुभ मणि भी समुद्र मंथन के दौरान निकली थी। नग या मणि में फर्क होता है। दोनों ही समुद्र के रत्न हैं। प्रमुख मणियां 9 मानी जाती हैं- घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, लाजावर्त मणि, मासर मणि। मणि एक प्रकार का चमकता हुआ पत्थर होता है। मणि को हीरे की श्रेणी में रखा जा सकता है।
 
 
उक्त सभी मणियां समुद्र या नदियों के अलावा खदानों से उत्पन्न होती है। ये सभी चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करती हैं। प्रत्येक मणि अलग-अलग कार्य में काम आती है। किसी जानकार से पूछकर ही इनमें से किसी मणि को अपने पास रखना चाहिए।
 
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समुद्री वनस्पतियां:-
1.समुद्री शैवाल :
शैवाल मुख्‍यत: 3 प्रकार की होती है। शैवाल का उपयोग औषधि, व्यवसाय और भोजन के रूप में किया जाता है। कुछ जहरीली शैवाल होती है। क्लोरेला नामक शैवाल को कैबिन के हौज में उगाकर अंतरिक्ष यात्री को प्रोटीनयुक्त भोजन, जल और ऑक्सीजन सभी प्राप्त हो सकते हैं।


2.सिवार (kelp) : यह एक प्रकार की समुद्री वनस्पति है। समुद्र की गहराइयों में इस वनस्पति के जंगल के जंगल विद्यमान हैं। यह भी शैवाल की तरह बहुउपयोगी है। यह अमरबेल की तरह है। जब तक यह पानी में रहेगी, यह कभी नष्ट नहीं होगी और न सड़ेगी।
 
 
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मोती और मूंगा : समुद्र से पाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण रत्न मोती कई प्रकार का होता है। असली और प्रभावयुक्त मोती पहनने से जीवन में शांति स्थापित होती है। उसी तरह मूंगा भी एक चमत्कारिक नग है। यह भी समुद्र में बहुतायत में पाया जाता है। 
मंगल राशि के लोगों को मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है जबकि सामान्यत: चंद्रमा क्षीण होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है। मान्यता के अनुसार मोती का एक कार्य धन और समृद्धि के द्वार खोलना भी है।
 
शांति के लिए मोती : किसी भी प्रकार से धन प्राप्ति में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए मोती भी उत्तम उपाय माना गया है। दरअसल, इसके पहनने से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। सही स्वरूप का मोती धारण करने से ही अपेक्षित लाभ प्राप्त होते हैं अन्यथा कई ऐसे उदाहरण सामने आते हैं कि मोती धारण किया, परंतु कोई फर्क का अहसास नहीं हुआ। 
 
गोल आकार का मोती उत्तम प्रकार का होता है। मोती आकार में लंबा तथा गोल हो एवं उसके मध्य भाग में आकाश के रंग जैसा वलयाकार, अर्द्ध चंद्राकार चिह्न हो तो ऐसा मोती धारण करने से धारणकर्ता को उत्तम पुत्र की प्राप्ति होती है। मोती यदि आकार में एक ओर अणीदार हो तथा दूसरी ओर से चपटा हो तथा उसका रंग सहज आकाश के रंग की तरह हो तो ऐसा मोती धारण करने से धारणकर्ता के धन में वृद्धि होती है। गोल आकार का पीले रंग का मोती हो तो ऐसा मोती धारण करने से धारणकर्ता विद्वान होता है।
 
साहस के लिए मूंगा : मूंगा मंगल का रत्न है। मंगल साहस, बल, ऊर्जा का कारक है। दूसरी ओर यदि आप मूंगा धारण करना चाहते हैं तो मूंगे की सही परख करने के लिए मूंगे पर एक बूंद पानी की टपकाएं, फिर देखें पानी रुकेगा नहीं। अगर पानी उस पर रुक जाए तो वह असली मूंगा नहीं होता। पुखराज, मोती, माणिक के साथ पहन सकते हैं।
 
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समुद्र किनारे के रंग-बिरंगे पत्थर : समुद्र किनारे ऐसे हजारों रंग-बिरंगे पत्थर मिल जाएंगे, जो अद्भुत होंगे। ये पत्थर बहुत ही खूबसूरत होते हैं। इनमें से ही किसी भाग्यशाली को ऐसा भी पत्थर मिल सकता है, जो किस्मत को बदलने वाला हो। समुद्र में तैरने वाले पत्थर भी होते हैं।
 
नाविक और समुद्र में ही रहने वालों के लिए ये पत्थर बहुत काम आते हैं। इस तरह के पत्थरों के कई उपयोग होते हैं। ये गोल और चिकने होते हैं। इसकी माला ‍भी बनाई जा सकती है और इसको गृह-सज्जा के काम में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि हजारों-लाखों में से कोई एक पत्थर ऐसा होता है, जो अद्भुत हो।
 
आत्मरत्न : पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कहते हैं कि समुद्र में एक प्रकार का आत्मरत्न होता है, जो चमत्कारिक रूप से लाभ देने वाला है। यह अंडाकार होता है। इस रत्न को सोने या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनने से कोई दिव्य आत्मा हमेशा उसकी रक्षा करती है। इस रत्न की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे गौर से देखने पर इसकी लकीरें हिलती-डुलती नजर आती हैं।