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Written By अनिरुद्ध जोशी

कोर्स की किताबों के अलावा धर्म, दर्शन और इतिहास की जानकारी क्यों जरूरी?

कोर्स की किताबों के अलावा धर्म, दर्शन और इतिहास की जानकारी क्यों जरूरी? - Information about religion, philosophy, and history
वर्तमान युग में युवा अपने करियर के बारे में ज्यादा ध्यान देते हैं। कोर्स की किताबों को पढ़ते पढ़ते वे थोड़ी बहुत सभी विषयों की जानकारी ले लेते होंगे लेकिन अधिकतर का सामान्य ज्ञान शून्य होता है। हो सकता है कि उन्हें, दवा, दारू, व्यापार, तकनीक, विज्ञान, सरकारी योजना, यात्रा, मनोरंजन, बॉलीवुड, शॉपिंग माल आदि की जानकारी हो लेकिन यह जानकारी उनके जीवन में कम ही लाभ पहुंचाती है, क्योंकि यह जानकारी तो सभी हासिल कर लेते हैं।
 
 
लेकिन बहुत कम लोगों को देश-विदेश की संस्कृति, मनोविज्ञान, स्थानीय एवं परंपरागत ज्ञान, धर्म, दर्शन और इतिहास की जानकारी होती है। अब सवाल यह उठता है कि धर्म और दर्शन की जानकारी का क्या फायदा। जिस तरह आपको चलने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है उसी तरह आपके कर्म और विचारों को विस्तार देने के लिए धर्म, दर्शन और इतिहास की जानकारी जरूरी होती है। हमने देखा है कि डॉक्टर होकर भी अधिकतर लोगों में संवेदना और सेवा का कोई भाव नहीं है।
 
 
डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, नेता, अभिनेता होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं। लेकिन महान डॉक्टर, वैज्ञानिक और नेताओं के जीवन को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि उन्हें धर्म, दर्शन, भूगोल और इतिहास की अच्छी खासी जानकारी थी। दर्शन के बगैर विज्ञान अधूरा है। कालांतर में कई ऐसे वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने धर्म और दर्शन को पढ़कर ही अपने अविष्कार को अंजाम दिया या नई खोज की। आपके भीतर धर्म या दर्शन नहीं है तो आप एक ऐसे इंसान है जिसके भीतर आत्मा नहीं है।
 
 
हालांकि आप सोच रहे होंगे कि धर्म और इतिहास की जानकारी का संबंध जिंदगी या रोजमर्रा के जीवन से कैसे? 
 
दरअसल, यह जानकारी आपकी सोच को विस्तृत और सही बनाती है। साथ ही यह ज्ञान आपके जीवन में बहुत काम आता है। आपको बचपन में हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम, वामपंथी संस्कार मिले होंगे। हो सकता है कि आपको नवबौद्ध, श्वेतांबर, प्रोटेस्टेंट, शियाओं या ब्राह्मणों के प्रति नफरत सिखाई गई हो या आप खुद ही इनसे नफरत करना सीख गए हों। यह भी हो सकता है कि नफरत फैलाने वाले लोगों के यूट्यूब चैनल से आप प्रभावित हो। तब आप जिंदगी में यह कभी नहीं जान पाएंगे कि सत्य क्या है। 
 
हां, यदि आप अपना कोई राजनीतिक या धार्मिक हित साधना चाहते हैं तो निश्चित ही सोचते रहें किसी के भी खिलाफ। व्यवस्था और क्रांति के नाम पर आपको हांका जाएगा। आप यह सोचते हैं कि हम पढ़-लिखकर सोचने लगे हैं तो आप सचमुच ही व्यर्थ ही सोच रहे हैं।
 
सभी धर्मों की जानकारी और इतिहास की सभी दृष्टिकोण से जानकारी जरूरी है, तभी आपके मन और मस्तिष्क में सही सोच का विकास होगा। धर्म और इतिहास को यदि आपने वामपंथ की नजर से देखा है तो आप कभी सही नहीं समझ पाएंगे। सभी धर्मों का अध्ययन सीधे-सीधे करना चाहिए। जैसे गीता, उपनिषद, कुरआन, बाइबल, गुरुग्रंथ साहिब, धम्मपद, समयसार,‍ जिनसूत्र आदि सभी को आप खुद पढ़ें और समझें। लगभग सभी प्रसिद्ध दार्शनिकों सहित वर्तमान में प्रचलित दार्शनिकों की किताबें पढ़ना चाहिए, लेकिन किसी से भी प्रभावित होने की जरूरत नहीं है।
 
 
देश और धर्म का इतिहास जानना भी जरूरी है। इतिहास में अधिकतर आपने राजाओं या राजनीतिज्ञों के ही बारे में पढ़ा होगा। स्कूलों में यही पढ़ाए जाते हैं, लेकिन आपको धर्मों के इतिहास का अध्ययन भी करना चाहिए। धर्मों के इतिहास में आप पैगंबरों, अवतारों, तीर्थंकरों, बुद्धों, गुरुओं और सिद्ध पुरुषों के बारे में ही नहीं जानना है यह भी जानना चाहिए कि किस तरह हिन्दू, जैन बौद्ध और ईसाई धर्म का उत्थान, विकास और पतन हो गया। और भी बहुत कुछ। धन्यवाद।