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Last Modified: शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022 (00:04 IST)

Russia Ukraine News : यूक्रेन पर हमले के बाद बाल्टिक देशों को हुई चिंता, क्या अगला नंबर हमारा है?

Russia Ukraine News : यूक्रेन पर हमले के बाद बाल्टिक देशों को हुई चिंता, क्या अगला नंबर हमारा है? - Baltic countries worried after attack on Ukraine
विलनियस (लिथुआनिया)। यदि फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के नजरिए से यू्क्रेन में चल रहे घटनाक्रम को देखा जाए, तो ऐसा लग सकता है कि यूरोप में नया शीतयुद्ध शुरू होने वाला है, लेकिन बाल्टिक देशों के लिए स्थिति और भी बदतर है।

एस्तोनिया, लातविया और लिथुआनिया के लोगों को चिंता है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वे अगला निशाना हो सकते हैं। लंबे समय तक सोवियत के नियंत्रण में रहे इन देशों के लोगों के मन में सामूहिक निर्वासन और उत्पीड़न की कष्टकारी यादें ताजा हो गई हैं।

लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में 50 वर्षीय एक अध्यापक जौनियस काजलॉसक ने कहा, मेरे दादा-दादी को सर्बिया भेज दिया गया। मेरे पिता को (सोवियत संघ की खुफिया संस्था रही) केजीबी ने प्रताड़ित किया था। मैं अब एक स्वतंत्र देश में रह रहा हूं, लेकिन ऐसा लग रहा कि किसी भी चीज को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यूक्रेन पर बृहस्पतिवार को रूस के हमले से बाल्टिक देश स्तब्ध हैं।

लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने बृहस्पतिवार को एक शासनादेश पर हस्ताक्षर कर बाल्टिक देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा की। उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर यह कदम उठाया है। आपातकाल 10 मार्च तक प्रभावी रहेगा, जो सुरक्षित कोष के अत्यावश्यक मदों में उपयोग और सीमा सुरक्षा बढ़ाने की अनुमति देगा।

लातविया ने दुष्प्रचार एवं गलत सूचना देने के आरोप में कई रूसी टीवी स्टेशन के प्रसारण लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। सभी तीनों बाल्टिक देशों पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ के प्रमुख रहे जोसेफ स्टालिन ने कब्जा कर लिया था।

इसके बाद इन देशों ने 1991 में सोवियत संघ से अलग होने से बाद फिर से स्वतंत्रता प्राप्त की। वे 2004 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल हो गए। यूक्रेन नाटो का हिस्सा नहीं है। बाल्टिक देश उन देशों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों का समर्थन किया है।(भाषा)
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