मंगलवार, 8 अप्रैल 2025
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Written By जनकसिंह झाला

इन पलकों के तले...

रोमांस
NDND
इन पलकों के तले कभी जिसके चेहरे को छिपाया..।
आज वही चेहरा हमें फिर से याद आया,
फिर से आ गए इन आँखों में आँसू,
पर न आए वो, न आया उनका साया..।

जिस पर अब तक मरता रहा यह दिल..।
जिसको लेकर था हर ख्वाब सजाया,
जिसे अपना हमदम-हमनशीं बनाया,
न जाने कब हो गया वह पराया..।

कैसे बताऊँ कि वह कितना याद आया..।
इन्ही यादों में न मैं दिन-रात जान पाया,
रही होगी उनकी भी कोई ना कोई मजबूरी,
वरना किस्मत भी हमारी नहीं थी बुरी..।

बस, अब खुश रहें वे उनके साथ,
जिनके नाम का सिंदूर उन्होंने माँग में है सजाया,
काश सजाकर रख पाते हम भी चाहत के वे पल..
जिन्हें याद करके आज खुद को अकेला पाया..।