शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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रोमांटिक कविता : प्रेम की आईसीयू

रोमांटिक कविता : प्रेम की आईसीयू - love poem in hindi
जिंदगी के साथ कोई मेरा हमसाया हो गया
एक लड़की से क्या मिला, मैं उसकी छाया हो गया
 
रिश्ता होते ही जिंदगी में वह हो गई सब कुछ
यारों मैं खुद अपने लिए पराया हो गया
 
सुबह, दोपहर, शाम, रात बस बातें ही बातें
मोबाइल मेरा चौबीस पहर का साया हो गया
 
तोहफों ने सीमा पार पहुंचा दिया क्रेडिट कार्ड बिल
उन्हें उपहार दे-देकर खुद देनदारी का मारा हो गया
 
रोज उठाकर उनके नखरे और जताकर उन्हें प्यार
किसी फिल्म के एक्स्ट्रा की तरह बेचारा हो गया
कभी घर तो भी ऑफिस से पिक-अप या ड्रॉप
उनके लिए मर्सीडीज तो खुद के लिए खटारा हो गया
 
फिर भी उनके नयनों में न जाने है क्या बात
प्रेम के आईसीयू में रहना गवारा हो गया।