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तुम दूर क्या गए
तुम दूर क्या गएजिंदगी का हर दिन ही हम भूल गए। फिर वो खास दिन भी आया, जन्मदिन नाम जिसे दुनिया ने दिलवाया। फूलों के साथ कुछ तोहफे भी आए, बस वो नही आए जो दिल में थे समाए। नहीं दिया उन्होंने दोबारा हमें वो मौका, खोल पाते फिर वो हमारा कोई तोहफा।दिन वो भी कुछ खास था, जब उन्हीं तोहफों पर उनका हाथ था। न जाने कहाँ खो गए वो, कहीं एक और तोहफा लेने तो नहीं गए वो । जो भी हो बस वो जल्दी आ जाए, आकर हमारे दिल में बस जाए ।गम नहीं अगर वो हमे प्यार ना भी दे, है तमन्ना सिर्फ इतनी बस एक दीदार दे।जिंदगी कट जाएगी बाकी बचे इन सालों की, बस झलक मिल जाए उनके हँसते गालों की। तुम दूर क्या गए, हम ‘हम’ ना रहे और ‘तुम’ बन गए।