बहुत सहेज कर रखे हैं अब भी वैसे ही हैं जैसे तुमने दिए थे लेकिन इसमें अंकित शब्द अतीत के हाथों, कुछ तुम्हारे हाथों, स्वयं मेरे ही हाथों मारे जा चुके हैं इन मृत शब्दों की अंत्येष्टि में आमंत्रित हो तुम क्योंकि तुम्हारी श्रद्धांजलि ही उन्हें मोक्ष दिला सकती है उन्हें स्वर्गिक बना सकती है