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Last Modified: रियो डि जेनेरियो , रविवार, 7 अगस्त 2016 (18:21 IST)

अब बिंद्रा और नारंग को लगाना होगा सटीक निशाना

अब बिंद्रा और नारंग को लगाना होगा सटीक निशाना - Rio Olympic 2016, Abhinav Bindra, Gagan Narang
रियो डि जेनेरियो। रियो में भारतीय निशानेबाजों की खराब शुरुआत के बाद अब 125 करोड़ भारतवासियों की निगाहें सबसे बड़ी पदक उम्मीद और देश के एकमात्र ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा और कांस्य पदक विजेता गगन नारंग पर टिकी हुई हैं, जो सोमवार को यहां 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में अपने ओलंपिक अभियान की शुरुआत करेंगे।
भारत ने 31वें ओलंपिक खेलों में अपना 118 सदस्यीय दल उतारा है जिसमें उसके रिकॉर्ड 12 निशानेबाज शामिल हैं। लेकिन पहले ही दिन महिला और पुरुष निशानेबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अब सारी उम्मीदें अभिनव और गगन पर टिक गई हैं। 
 
ओलंपिक खेलों के पहले ही दिन बड़ी पदक उम्मीद माने जा रहे पिस्टल निशानेबाज जीतू राय अपनी 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने के बावजूद निराश कर गए। जीतू फाइनल राउंड में पहुंचे 8 निशानेबाजों में सबसे पहले बाहर होने वाले निशानेबाज थे और उनकी हार भारत के लिए यह सबसे बड़ा झटका थी। इसके अलावा महिलाओं में अयोनिका पाल और अपूर्वी चंदीला भी 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में अपने-अपने मुकाबले हारकर बाहर हो गई थीं।
 
ऐसे में बिंद्रा और गगन पर दबाव भी काफी रहेगा। निशानेबाजी 4 साल पहले के लंदन ओलंपिक के बाद से बिलकुल बदल चुकी है। खासतौर पर इसके नियम पूरी तरह बदल दिए गए हैं। पहले जहां क्वालीफाइंग और फाइनल के स्कोर जोड़े जाते थे वहीं अब क्वालीफाइंग सिर्फ फाइनल में पहुंचने वाले निशानेबाजों का फैसला करता है।
 
निशानेबाज को फाइनल में शून्य से शुरुआत करनी होती है और फाइनल में पहुंचने के बाद बेहतर प्रदर्शन ही पदक दिला सकता है। बिंद्रा और गगन के लिए 10 मीटर एयर राइफल पुरुष स्पर्धा के क्वालीफिकेशन में बेहतर प्रदर्शन करना सबसे पहला लक्ष्य रहेगा जिसमें 56 एथलीट उतरेंगे।
 
भारत के लिए ओलंपिक खेलों में निशानेबाजी पदकों के लिहाज से हमेशा अहम रहा है और पिछले 3 ओलंपिक में भारत ने निशानेबाजी में लगातार पदक जीते हैं। ऐसे में जीतू की हार के बाद अब अपना आखिरी ओलंपिक खेल रहे अभिनव बिंद्रा की सफलता काफी अहम रहेगी। भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में कुल 6 पदक जीते थे जिनमें 2 निशानेबाजी में थे।
 
पिछले लंबे अर्से से विदेश में ट्रेनिंग ले रहे और भारतीय दल के ध्वजवाहक तथा ओलंपिक खेलों के सद्भावना दूत बिंद्रा से उम्मीदें सबसे अधिक हैं। वर्ष 2008 बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा एकमात्र भारतीय एथलीट भी हैं जिन्होंने देश को ओलंपिक खेलों में एकमात्र व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाया है।
 
अपना 5वां और आखिरी ओलंपिक खेलने जा रहे बिंद्रा लंदन की नाकामी को पीछे छोड़ना चाहेंगे, जहां वे 16वें स्थान पर रहे थे। बिंद्रा ने 2014 में स्वर्ण जीतकर एशियाई खेलों को अलविदा कहा था और रियो में भी वे ऐसे ही कामयाबी हासिल कर ओलंपिक को अलविदा कहना चाहेंगे। 
 
पूर्व ओलंपियन निशानेबाज अंजलि भागवत का मानना है कि बिंद्रा जो ठान लेते हैं, वह कर दिखाते हैं। उन्होंने एशियाड में जो कहा था, वह कर दिखाया था और रियो में भी वही कारनामा दोहरा सकते हैं।
 
दूसरी ओर 33 वर्षीय गगन से लंदन ओलंपिक से और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। गगन लंदन ओलंपिक 2012 के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय रहे थे और उन्होंने इन खेलों में देश के लिए कांस्य पदक जीता था। गगन की कोशिश रहेगी कि वे इस बार अपने ओलंपिक पदक का रंग बदल सकें। (वार्ता) 
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