Ganga Saptami Katha 2020 : गंगाजी को 'जाह्नवी' क्यों कहते हैं, पढ़ें पौराणिक एवं प्रचलित कथा
गंगा सप्तमी के विषय में एक प्रचलित कथा है।
इसके अनुसार एक बार गंगाजी तीव्र गति से बह रही थी। उस समय जह्नु भगवान के ध्यान में लीन थे। उस समय गंगाजी भी अपनी गति से बह रही थी। उस समय जह्नु ऋषि के कमंडल और अन्य सामान भी वहीं पर रखा था।
जिस समय गंगाजी जह्नु ऋषि के पास से गुजरी तो वह उनका कमंडल और अन्य सामान भी अपने साथ बहा ले गई। जब जह्नु ऋषि की आंख खुली तो अपना सामान न देख वे क्रोधित हो गए।
उनका क्रोध इतना गहरा था कि अपने गुस्से में वे पूरी गंगा को पी गए, जिसके बाद भगीरथ ऋषि ने जह्नु ऋषि से आग्रह किया कि वे गंगा को मुक्त कर दें। जह्नु ऋषि ने भगीरथ ऋषि का आग्रह स्वीकार किया और गंगाजी को अपने कान से बाहर निकाला।
जिस समय यह घटना घटी थी, उस समय वैशाख पक्ष की सप्तमी तिथि थी, इसलिए इस दिन से गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन को गंगा का दूसरा जन्म माना और कहा भी जाता है। अत: जह्नु की कन्या होने की कारण ही गंगाजी को 'जाह्नवी' कहते हैं।