दर्शन के लिए खुला कोणार्क सूर्य मंदिर, जानिए 7 खास बातें
1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूची में शामिल विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर को दर्शन के लिए सोमवार को खोल दिया गया है। 13वीं शताब्दी की इस ऐतिहासिक धरोहर में आने के लिए लोगों को थर्मल जांच करानी होगी और मास्क लगाना अनिवार्य है। भारत के उड़ीसा राज्य के पवित्र शहर पुरी के पास विश्व प्रसिद्ध कोणार्क का भव्य सूर्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। आओ जानते हैं इस मंदिर के संबंध में 7 खास बातें।
1. वास्तुकला : सूर्य देवता के रथ के आकार में बनाया गया यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला, विशिष्ट आकार और शिल्पकला का अनोखा उदाहरण है।
2. नक्काशी : यहां के सभी पत्थरों पर की गई अद्भुत नक्काशी की गई है। सूर्य देवता के रथ के आकार में बने कोणार्क के इस मंदिर में भी पत्थर के पहिए और घोड़े हैं, साथ ही इन पर उत्तम नक्काशी भी की गई है। पूरे मंदिर में पत्थरों पर कई विषयों और दृश्यों पर मूर्तियां बनाई गई हैं। यहां पर खजुराहों मंदिरों की तरह भी मूर्तियां बनाई गई है।
3. राजा नरसिंहदेव ने बनवाया : इस सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। माना जाता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों पर सैन्यबल की सफलता का जश्न मनाने के लिए राजा ने कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
4. अंग्रेज शासल में खोजा गया मंदिर : 15वीं शताब्दी में मुस्लिम लुटेरों और अक्रांताओं ने लूटपाट मचा दी थी। उस वक्त सूर्य मंदिर के पुजारियों ने यहां स्थपित सूर्य देवता की मूर्ति को पुरी में ले जाकर सुरक्षित रख दिया था, परंतु पूरा मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद धीरे-धीरे मंदिर पर रेत जमा होने लगी और यह पूरी तरह रेत से ढंक गया था। 20वीं सदी में अंग्रेज शासन के अंतर्गत हुए रेस्टोरेशन में सूर्य मंदिर खोजा गया।
5. सूर्य के घोड़े और रथ : सूर्य देवता के रथ में बारह जोड़ी पहिए हैं और रथ को खींचने के लिए उसमें 7 घोड़े जुते हुए हैं। पूरा मंदिर सूर्य देवता के रथ के आकार में बना है, जिसे देखना अद्भुत है।
6. समय की गति : सूर्य मंदिर समय की गति को भी दर्शाता है, जिसे सूर्य देवता नियंत्रित करते हैं। पूर्व दिशा की ओर जुते हुए मंदिर के 7 घोड़े सप्ताह के सातों दिनों के प्रतीक हैं। 12 जोड़ी पहिए दिन के चौबीस घंटे दर्शाते हैं, वहीं इनमें लगी 8 ताड़ियां दिन के आठों प्रहर की प्रतीक स्वरूप है। कुछ लोगों का मानना है कि 12 जोड़ी पहिए साल के बारह महीनों को दर्शाते हैं।
7. शक्तिशाली चुंबक : यहां के स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां के टावर में स्थित दो शक्तिशाली चुंबक मंदिर के प्रभावशाली आभामंडल के शक्तिपुंज हैं। पुराने समय में समुद्र तट से गुजरने वाले योरपीय नाविक मंदिर के टावर की सहायता से नेविगेशन करते थे, लेकिन यहां चट्टानों से टकराकर कई जहाज नष्ट होने लगे और इसीलिए इन नाविकों ने सूर्य मंदिर को 'ब्लैक पगोड़ा' नाम दे दिया। जहाजों की इन दुर्घटनाओं का कारण भी मंदिर के शक्तिशली चुंबकों को ही माना जाता है।