सहजता से दर्शन देते हैं शिव
सामग्री संयोजन - राजेंद्र मेहता मुख से जैसे ही ओम् का उच्चारण किया जाता है, तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ध्यान हो जाता है। भगवान के संपूर्ण स्वरूप का ध्यान करना है, तो ओम् का उच्चारण कीजिए। वैदिक रुद्री में रुद्र की समस्त संहारक शक्तियों का वर्णन मिलता है। यह सत्य है कि भगवान शिव की संहारक शक्ति में ही संसार का कल्याण है। यदि शिव में संहारक शक्ति न हो, तो असंख्य जीवात्माओं के धर्म-अधर्म के अनुसार समय पर और तत्वों के क्रमपूर्वक संहार कौन करे। शिव की इसी शक्ति के कारण ही ब्रह्मा और विष्णु महत्व वाले हुए। संहारक शक्ति के बिना निर्माण और पालन का क्या महत्व? संहारक शक्ति के कारण ही शिवजी की अन्य देवताओं की अपेक्षा अधिक पूजा होती है। पूर्णतः सच है कि शिवजी के संहार में ही संसार का कल्याण है। शिव मंदिर में कुछ प्रतीक प्रायः देखने को मिलते हैं- नन्दी, कछुआ, गणेश, हनुमान, जलधारा एवं सर्प।प्रत्येक शिव मंदिर में पहले नन्दी के दर्शन होते हैं। यह भगवान शिव का वाहन है। जैसे महादेव का वाहन नन्दी है, वैसे ही हमारी आत्मा का वाहन शरीर है। शिव से आत्मा का बोध होता है और नन्दी से शरीर का। जैसे नन्दी की दृष्टि सदा शिव की ओर होती है, वैसे ही हमारे शरीर का लक्ष्य भी हमारी आत्मा हो।शिव का अर्थ है कल्याण। सभी के कल्याण की भावना मन में हो, सदैव सभी की मंगलकामना करे, तो जीव शिव बन जाता है। वस्तुतः अपनी आत्मा में शिव को प्रकट करना ही शिव पूजा का लक्ष्य है। आत्मा में शिव प्रकट हो जाए, इसके लिए सबसे पहले आत्मा के वाहन शरीर को उपयोगी बनाना होगा। जैसे नन्दी की दृष्टि शिव की ओर होती है, वैसे ही हमारा शरीर भी सदैव आत्मदर्शन के लिए प्रयत्न करता रहे। शरीर के स्वस्थ एवं आत्मदर्शन के लिए यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि का आश्रय लेना चाहिए। नन्दी के प्रतीक के द्वारा यही संदेश दिया जाता है।(
साभारः आध्यात्मिक, सामाजिक एवं पारिवारिक पत्रिका जीवन संचेतना से)