महर्षि योगी के स्मृति-चिह्न उपेक्षा के शिकार
ऋषिकेश स्थित महेश योगी का आश्रम
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महेश पाण्डे ऋषिकेश स्थित महर्षि महेश योगी का आश्रम आज भी बीटल्स बैंड के गायकों-वादकों के प्रवास के कारण विदेशी सैलानियों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है लेकिन सरकार ने इसे राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के अधीन क्या लिया, इसे भी जंगल ही बना डाला है। जॉन लेनॉन, पॉल मैककार्टनी, जॉर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार ने इंग्लैंड के लिवरपूल में रॉक बैंड 'द बीटल्स' की स्थापना करने के साथ ही संगीत की दुनिया में तहलका मचा दिया था उससे जुड़े ऋषिकेश स्थित स्मृति-चिह्नों की घोर उपेक्षा हो रही है। इसे सुखद माना जा सकता है कि संगीत के इतिहास में व्यावसायिक सफलता की नई सीमा गढ़ने और गुणवत्ता के स्तर पर खूब सराहे गए इस बैंड के ये चार नायक शांति की तलाश में भारत आए और ऋषिकेश स्थित महर्षि महेश योगी के आश्रम में रहे। आज भी यह स्थल पश्चिम से आने वाले संगीत साधकों और प्रेमियों का तीर्थ बना हुआ है। आज भी पश्चिमी देशों से आए अनेक सैलानी महर्षि महेश योगी के आश्रम के खंडहरों में अपने संगीत के अपने हीरो के स्मृति-चिह्न ढूँढ़ते हैं लेकिन उत्तरांचल वन विभाग के लिए ये खंडहर और आश्रम जमीन का महज एक टुकड़ा मात्र है। साठ के दशक में सामाजिक और संस्कृति क्रांति का हिस्सा रहे बीटल्स के ये संगीत साधक जिस आश्रम में ठहरे थे आज वह क्षेत्र राजाजी नेशनल पार्क के भीतर आ गया है। इस कारण कभी आबाद रहे आश्रम के खंडहरों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन संगीत और बीटल्स के दीवाने जब-तब तारों की बाड़ फाँदकर इन खंडहरों में अपने भावावेश और उत्सुकता को संतोष प्रदान करते हैं।
इस समूह के चारों दिग्गजों पर महर्षि महेश योगी का जबरदस्त प्रभाव था। वे हिंदू धर्म से भी बेहद प्रभावित थे। ऋषिकेश स्थित महर्षि महेश योगी के आश्रम में जॉर्ज हैरीसन और जॉन लेनॉन 1960 में आठ हफ्ते तक रहे। इन्हीं दिनों ब्रितानी लोक संगीत के मर्मज्ञ और चर्चित गायक डोनोवल भी बीटल्स के नायकों के प्रवास के दौरान ऋषिकेश में उनके साथ रहे थे। पॉल व रिंगो स्टार ने भी महर्षि महेश योगी के इस आश्रम में ध्यान लगाने की विधि सीखी थी। पॉल ने पाँच हफ्ते इस आश्रम में बिताए तो रिंगो स्टार दस दिन यहाँ रहे। इन लोगों पर महेश योगी का बेहद रचनात्मक प्रभाव पड़ा था। यहाँ से प्राप्त ऊर्जा का ही प्रभाव रहा होगा कि इन चारों ने 1960 में दुनिया भर में अपने संगीत से लोगों को दीवाना बनाया। इन्होंने कई यादगार गीत इसी आश्रम में रहते हुए लिखे। इस रॉक बैंड के प्रति पश्चिमी देशों में लोगों की दीवानगी आज भी बरकरार है और वर्ष 2008 में अनेक संगठनों ने लीवरपूल को ब्रिटेन की सांस्कृतिक राजधानी तक घोषित किया है लेकिन आज बीटल्स को दुनिया भर में छा जाने की प्रेरणा देने वाले महर्षि महेश योगी का आश्रम ही बेहद बदहाल स्थिति में है।
इस आश्रम में महर्षि ने चौरासी गुफा नाम से चौरासी भूमिगत कुटियाओं का निर्माण करवाया था। वास्तु के लिहाज से ये निर्माण बड़े अच्छे हैं। वहीं एक सौ पच्चीस दो मंजिला कुटियाएँ भी यहाँ तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस बनाई गई थीं। पिरामिड आकार के कई विशाल भवन महर्षि के इस आश्रम में आज देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण हो रहे हैं। महर्षि का अपना आवास खंड भी खंडहर में बदल गया है। ध्यान योग के लिए बनाया गया मेडिटेशन हॉल भी अपनी दुर्दशा पर आप ही रो रहा है। अरबों रुपए मूल्य के इस आश्रम की लीज 1991 में खत्म होने से पहले ही वनविभाग के नोटिस से नाराज महर्षि महेश योगी ने इस आश्रम को अपना शरीर त्यागने से बहुत पहले त्याग दिया था। उत्तरांचल राज्य का निर्माण होने के बाद भी इस आश्रम का रचनात्मक इस्तेमाल करने में वन विभाग आज तक असफल ही रहा है। उत्तरांचल वन विभाग इस आश्रम का उपयोग यहाँ पर्यटन को बढ़ावा देकर ईकोडेवलपमेंट के लिए कर सकता था लेकिन विभाग का रवैया कुछ ऐसा है कि इसके लिए जहमत कौन उठाए ? बीटल्स से जुड़े होने के कारण कई विदेशी और प्रवासी लोग इसे मनमानी कीमत में लीज पर लेने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं लेकिन सरकार की इन प्रस्तावों में कोई रुचि नहीं है। ऊपर से वनविभाग इस आश्रम के भवनों का संरक्षण तक नहीं कर रहा है। अब तक न तो जीर्ण हो रहे भवनों को बचाने का प्रयास हो पाया है, न ही कहीं इस आश्रम के इतिहास को व्यक्त करता कहीं कोई बोर्ड ही नजर आता है। सैलानियों के आकर्षण को नजरअंदाज करते हुए सरकार बने बनाए संसाधन का इस्तेमाल नहीं कर रही। क्षेत्र के समाजसेवी मनोज द्विवेदी कहते हैं, 'यहाँ आने और आश्रम में घूमने के प्रति विदेशी सैलानियों में खासा उत्साह दिखता है। यदि सरकार चाहे तो यहाँ कुछ सुविधाओं का विकास कर और प्रवेश शुल्क निर्धारित कर इस आश्रम को कमाई और स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने का साधन बना सकती है लेकिन सरकार लोगों की इच्छा को दरकिनार कर रही है।