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श्रीराम शर्मा आचार्य के 25 अनमोल वचन

श्रीराम शर्मा आचार्य के 25 अनमोल वचन - Pandit Shri Ram Sharma 25 Quotes
Shriram Sharma Acharya
शांतिकुंज गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म तिथिनुसार आश्विन मास में उत्तरप्रदेश के आगरा जनपद के आंवलखेड़ा गांव में हुआ था। वर्तमान युग में हर व्यक्ति धर्म-कर्म की राह से भटक रहा है। ऐसे व्यक्तियों को सही रास्ता दिखाने के लिए यह वचन बहुत लाभदायी सिद्ध हो सकते हैं। 

यहां प्रस्तुत हैं पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के 25 अनमोल वचन- 
 
1. आज का नया दिन हमारे लिए एक अमूल्य अवसर है।
 
2. कभी निराश न होने वाला, सच्चा साहसी होता हैं।
 
3. दूसरों को पीड़ा नहीं देना ही, मानव धर्म है।
 
 
4. सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी खुद को ना पहचान पाए तो सारा ज्ञान निरर्थक है।
 
5. जिस भी व्यक्ति ने अपने जीवन में स्नेह और सौजन्य का समुचित समावेश कर लिया है, वह सचमुच ही सबसे बड़ा कलाकार है।
 
6. दूसरों के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद अपने लिए पसंद नहीं है।
 
7. मनुष्य अपने रचयिता की तरह ही सामर्थ्यवान है।
 
8. किसी का आत्मविश्वास जगाना उसके लिए सर्वोत्तम उपहार है।

 
9. जीवन को प्रसन्न रखने के दो ही उपाय है- एक अपनी आवश्यकताएं कम करें और दूसरा विपरित परिस्थितियों में भी तालमेल बिठाकर कार्य करें।
 
10. संयम, सेवा और सहिष्णुता की साधना ही गृहस्थ का तपोवन है।
 
11. खुद की महान् संभावनाओं पर दृढ़ विश्वास ही सच्ची आस्तिकता है।
 
12. फूलों की खुशबू हवा के विपरीत दिशा में नहीं फैलती लेकिन सद्गुणों की कीर्ति दसों दिशाओं में फैलती है।

 
13. अपने आचरण से प्रस्तुत किया उपदेश ही सार्थक और प्रभावी होता है, अपने वाणी से किया गया नहीं।
 
14. मुस्कुराने की कला दुखों को आधा कर देती है।
 
15. जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र के हित की बात नहीं हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।
 
16. अपनी प्रसन्नता को दूसरों की प्रसन्नता में लीन कर देने का नाम ही ‘प्रेम’ है।
 
17. मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता खुद ही होता है।

 
18. जीवन का हर पल एक उज्ज्वल भविष्य की संभावना को लेकर आता है।
 
19. जिन्हें लंबी जिंदगी जीनी हो, वे बिना ज्यादा भूख लगे कुछ भी न खाने की आदत डालें।
 
20. किसी भी व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप उसके साथ रोग, शोक, पतन और संकट साथ लेकर ही आते है।
 
21. मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है, जिसे शिक्षा रूपी छैनी ओर हथौड़ी से सुंदर आकृति प्रदान की जा सकती हैं।
 
22. गलती करना बुरा नहीं है बल्कि गलती को न सुधारना बुरा है।

 
23. अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनाता है, ईश्वर नहीं।
 
24. हर व्यक्ति को अपना मूल्य समझना चाहिए और खुद पर यह विश्वास करना चाहिए कि वे संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है।
 
25. जो शिक्षा मनुष्य को परावलंबी, अहंकारी और धूर्त बनाती हो, वह शिक्षा, अशिक्षा से भी अधिक बुरी है।
 
-RK. 

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