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Last Updated : बुधवार, 16 फ़रवरी 2022 (13:41 IST)

हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर किए जाते हैं ये 6 बड़े दावे

हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर किए जाते हैं ये 6 बड़े दावे | Hanuman Birthplace
रामभक्त हनुमानजी के जन्मस्थान को लेकर मतभेद रहा है। हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति तिरुमाला में आंजनेद्री पर्वत पर स्थित हनुमान जन्म स्थान पर भव्य प्रतिमा स्थापित करने और मंदिर बनाने को लेकर शिलान्यास हो रहा है। आंध्रप्रदेश की 'तिरुपति तिरुमला देवस्थानम (TTD)' बोर्ड ने दावा किया है कि भगवान हनुमान का जन्म आकाशगंगा जलप्रपात के नजदीक जपाली तीर्थम में हुआ था। कर्नाटक में श्री हनुमद जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इससे सहमत नहीं है। इस ट्रस्ट का दावा है कि वाल्मीकि रामायण निर्दिष्ट करती है कि हनुमान का जन्म किष्किंधा के अंजनहल्ली में हुआ था, जिसके बारे में माना जाता है कि यह हम्पी के पास तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित था। दोनों ट्रस्ट के दावे को लेकर अब कोर्ट में मामला चल रहा है। आओ जानते हैं कि कितने है हनुमानजी के जन्म स्थान को लेकर दावे।
 
 
जन्म स्थान को लेकर 6 दावे : 
 
1. गुजरात के डांग जिले में हनुमना जन्म स्थान : कुछ विद्वान मानते हैं कि नवसारी (गुजरात) स्थित डांग जिला पूर्व काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में पहचाना जाता था। इस दंडकारण्य में राम ने अपने जीवन के 10 वर्ष गुजारे थे। डांग जिला आदिवासियों का क्षेत्र है। हालांकि आदिवासियों के प्रमुख देव राम हैं। आदिवासी मानते हैं कि भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे। डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे। शबरी भील समाज से थी। आज यह स्थल शबरी धाम नाम से जाना जाता है।
 
2. हरियाणा के कैथल में हनुमान का जन्म स्थान : कैथल हरियाणा प्रान्त का एक शहर है। इसकी सीमा करनाल, कुरुक्षेत्र, जीन्द, और पजाब के पटियाला जिले से मिली हुई है। इसे वानर राज हनुमान का जन्म स्थान भी माना जाता है। इसका प्राचीन नाम था कपिस्थल। कपिस्थल कुरू साम्राज्य का एक प्रमुख भाग था। आधुनिक कैथल पहले करनाल जिले का भाग था। पुराणों के अनुसार इसे वानर राज हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। कपि के राजा होने के कारण हनुमानजी के पिता को कपिराज कहा जाता था। कैथल में पर्यटक ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़े अवशेष भी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यहां पर हनुमानजी की माता अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी और अजान किला भी।
 
 
3. झारखंड के गुमला में है हनुमान का जन्म स्थान : कुछ लोग मानते हैं कि हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के उग्रवाद प्रभावित क्षे‍त्र गुमला जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर दूर आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। इसी जिले के पालकोट प्रखंड में बालि और सुग्रीव का राज्य था। माना यह भी जाता है कि यहीं पर शबरी का आश्रम था। 
यह क्षेत्र में रामायण काल में दंडकारण्यण क्षेत्र का हिस्सा था। यहीं पर पंपा सरोवर हैं जहां राम और लक्ष्मण ने रुककर जल ग्रहण किया था। जंगल और पहाड़ों में से घिरे इस आंजन गांव में एक अति प्राचीन गुफा है। यह गुफा पहाड़ की चोटी पर स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर माता अंजना और पिता केसरी रहते थे। यहीं पर हनुमानजी का जन्म हुआ था। गुफा का द्वार बड़े पत्थरों से बंद है लेकिन छोटे छिद्र से आदिवासी लोग उस स्थान के दर्शन करते हैं और अक्षत व पुष्प चढ़ाते हैं। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि यह स्थान माता अंजना के जन्म से जुड़ा है।
 
 
एक जनश्रुति के अनुसार आदिवासियों को इस बात का भान नहीं था कि हनुमानजी और उनके माता-पिता पवित्रता और धर्म के पालन करने वालों के प्रति प्रसन्न रहते हैं। आदिवासियों ने माता अंजना को प्रसन्न करने के लिए एक दिन उनकी गुफा के समक्ष बकरे की बलि दे दी। इससे माता अप्रसन्न हो गई और उन्होंने एक विशालकाय पत्थर से हमेशा-हमेशा के लिए गुफा का द्वार बंद कर दिया। अब जो भी इस गुफा के द्वार को खोलने का प्रयास करेगा उसके ऊपर विपत्ति आएगी।
 
माना जाता है कि इस गुफा की लंबाई 1500 फीट से अधिक है। यह भी कि इसी गुफा से माता अंजना खटवा नदी तक जाती थीं और स्नान कर लौट आती थीं। खटवा नदी में एक अंधेरी सुरंग है, जो आंजन गुफा तक ले जाती है। मान्यता अनुसार इस गुफा के आंजन पहाड़ पर रामायण काल में ऋषि-मुनियों ने सप्त जनाश्रम स्थापित किए थे। यहां सात जनजातियां निवास करतीं थीं- 1.शबर, 2.वानर, 3.निषाद्, 4.गृद्धख् 5.नाग, 6.किन्नर व 7.राक्षस। जनाश्रम के प्रभारी थे- अगस्त्य, अगस्त्यभ्राता, सुतीक्ष्ण, मांडकणि, अत्रि, शरभंग व मतंग। यहां छोटानागपुर में दो स्थानों पर आश्रम है- एक आंजन व दूसरा टांगीनाथ धाम है।
4. अंजनेरी पर्वत, त्र्यंबकेश्वर महाराष्ट्र : महाराष्‍ट्र के नासिक में त्र्यंबकेश्वर से 7 किलोमीटर दूर अंजनेरी में हनुमानजी का जन्म स्थान होने का दावा किया जाता रहा था।
 
 
5. किष्‍किंधा में हुआ था हनुमान का जन्म : कर्नाटक में 'पंपासरोवर' अथवा 'पंपासर' होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है। यहां स्थित एक पर्वत में एक गुफा भी है जिसे रामभक्तनी शबरी के नाम पर 'शबरी गुफा' कहते हैं। इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था। हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। मतंग नाम की आदिवासी जाति से हनुमानजी का गहरा संबंध रहा है। शबरी धाम से लगभग 7 किमी की दूरी पर पूर्णा नदी पर स्थित पंपा सरोवर है। यहीं मातंग ऋषि का आश्रम था।
 
 
तिरुमाला ट्रास्ट का दावा है कि संभव है कि हनुमानजी तिरुमाला से हंपी अर्थात किष्किंधा गए हो। यह स्थान तिरुमाला से करीब 363 किलोमीटर दूर है। पंडित परिषद की रिपोर्ट के अनुसार वाल्मीकि रामायण के सुंदरकाण्ड के 35वें सर्ग के 81 से 83 श्लोक तक यह स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि माता अंजनी ने तिरुमाला की इस पवित्र पहाड़ी पर हनुमानजी को जन्म दिया था। इसके अलावा महाभारत के वनपर्व के 147वें अध्याय में, वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के 66वें सर्ग, स्कंद पुराण के खंड एक श्लोक 38 में, शिव पुराण शत पुराण के 20वें अध्याय और ब्रह्मांड पुराण श्रीवेंकटाचल महामात्य तीर्थ काण्ड में भी इसका उल्लेख मिलता है। कम्ब रामायण और अन्नमाचार्य संकीर्तन भी इसी स्थान का संकेत करते हैं।
 
 
वेंकटाचलम को अंजनाद्रि सहित 19 नामों से जाना जाता है और त्रेतायुग में अंजनाद्रि में हनुमान का जन्म हुआ था। वेंकटाचल माहात्म्य और स्कन्द पुराण में बताया गया है कि अंजना देवी ने मतंग ऋषि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का रास्ता बताने के लिए निवेदन किया था। उन्हीं के निवेदन पर माता अंजनी वेकटाचल पर्वत पर तपस्या करने चली गई और कई वर्षों के तप के बाद उन्हें हनुमाजी के रूप में पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर शर्मा का कहना है कि वेंकटगिरी से ही हनुमान ने सूर्य की तरफ छलाँग लगाई थी। जब ब्रह्मा और इंद्र ने उन पर वज्र से प्रहार किया, वो नीचे गिर पड़े और अंजना देवी अपने पुत्र के लिए रोने लगीं। तभी सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें वरदानी शक्ति प्रदान की और तभी से इस पर्वत का नाम अंजनाद्रि पर्वत हो गया। 
 
6. आंजनेद्री पर्वत, आंध्र प्रदेश : हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति तिरुमाला में आंजनेद्री ( anjanadri parvat) पर्वत पर स्थित हनुमान जन्म स्थान पर भव्य प्रतिमा स्थापित करने और मंदिर बनाने को लेकर शिलान्यास हो रहा है। यह पहाड़ी तिरुमाला की 7 पहाड़ियों में से एक है। यहां हनुमानजी की 30 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होगी और माता अंजनी का मंदिर, मंडप और गोपुर बनेगा। इस स्थान को पंडितों की एक कमेटी ने अपनी रिसर्च के बाद हनुमानजी का जन्म स्थान घोषित किया है। आंध्र प्रदेश की 'तिरुपति तिरुमला देवस्थानम (TTD)' बोर्ड ने घोषणा की है कि भगवान हनुमान का जन्म आकाशगंगा जलप्रपात के नजदीक जपाली तीर्थम में हुआ था। टीटीडी के द्वारा राष्‍ट्रीय संस्कृत विश्‍व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुरलीधर शर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई पंडित परिषद ने हनुमान जन्म स्थान के संबंध में एक शोधपत्र तैयार कर रिपोर्ट बनाई थी। जिसमें अनेक पौराणिक, भौगोलिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक तथ्‍यों एवं सबुतों का हवाला देकर आंजदेद्री पहाड़ी को हनुमान जन्म स्थान सिद्ध किया गया।
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