• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. धर्म-दर्शन
  4. »
  5. आलेख
Written By ND

मंदिरों के भ्रमण से गिनीज बुक की ओर...

इन्साइक्लोपीडिया ऑफ टेम्पल्स मिशन

गिनीज बुक
- पंकज जोश

ND
33 जिले, 17 हजार मंदिर, 18 हजार फोटो, 25 पुस्तकें और न जाने क्या-क्या। इस प्रकार की अनूठी जानकारियों एवं आँकड़ों का जिक्र इन्साइक्लोपीडिया में स्वाभाविक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें संकलित संपूर्ण सामग्री विभिन्न संदर्भों के माध्यम से लेखक जुटाते हैं। ऐसे में यह जरूरी नहीं कि इन्साइक्लोपीडिया में शामिल प्रत्येक जानकारी अथवा शब्दकोश में दर्ज प्रत्येक शब्द से लेखक भी परिचित हो। परंतु ऊपर उल्लेखित आँकड़ों की असलियत जानकर आप आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहेंगे। दरअसल ये वे आँकड़े हैं जो संदर्भों के माध्यम से नहीं, बल्कि 'इन्साइक्लोपीडिया ऑफ टेम्पल्स' तैयार करने के लिए लेखक ने प्रत्येक मंदिर का प्रत्यक्ष भ्रमण करने के पश्चात जुटाए हैं।

इस दुरूह, श्रमसाध्य और आश्चर्यजनक कार्य को अंजाम दिया है पुणे की दम्पति 71 वर्षीय मोरेश्वर और 66 वर्षीया विजया कुंटे ने। उन्होंने बताया वर्ष 1991 से 2007 तक बीते 16 वर्षों में संपूर्ण महाराष्ट्र के 33 जिलों में स्थित 17 हजार मंदिरों में जाकर न सिर्फ दर्शन किए, बल्कि उनकी विशेषताओं को 18 हजार तस्वीरों में उतारकर अब तक 25 पुस्तकों में संग्रहीत भी किया है। यह कार्य अभी भी जारी है।

गिनीज बुक की ओर... :- तीन पुत्रों एवं अन्य परिजनों की स्वीकृति के बाद कुंटे ने गरवारे नायलॉन कंपनी में प्रशासकीय अधिकारी पद से समयपूर्व सेवानिवृत्ति ले ली एवं अपने इस नेक कार्य को क्रियान्वित करने में जुट गए। इस कार्य के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। वहीं यह अनूठा कीर्तिमान गिनीज बुक में सम्मिलित किए जाने की भी संभावना है।

प्रामाणिक हो संग्रहीत जानकारी :- अपने इस मिशन की शुरुआत के बारे में उन्होंने बताया कि पूरे महाराष्ट्र में करीब 400 किले हैं। उनके इतिहास पर कई विद्वानों ने शोध किए हैं। परंतु इस राज्य में स्थित मंदिरों, उनकी विशेषताओं एवं इतिहास के बारे में जानकारी देने वाला कोई संकलन मुझे नजर नहीं आया। तब हमने महाराष्ट्र में स्थित मंदिरों की विस्तृत जानकारी एकत्र कर 'इन्साइक्लोपीडिया ऑफ टेम्पल्स' तैयार करने का प्रण किया। साथ ही यह भी निश्चय किया कि इसे तैयार करने के पूर्व महाराष्ट्र के 33 जिलों के शहरों एवं गाँवों में स्थित मंदिरों का वे स्वयं दो पहिया वाहन पर भ्रमण करेंगे ताकि संग्रहीत जानकारी विस्तृत और प्रामाणिक हो।

विशेषता लिए पुस्तकों के नाम :- कुंटे दम्पति ने हजारों मंदिरों के भ्रमण के दौरान कई मंदिरों की खासियतों को किताबों में भी संकलित किया। इन पुस्तकों का नामकरण भी तद्नुसार ही किया। मसलन्‌ 'महाराष्ट्रातील निसर्गरम्य मंदिरे' (प्रकृति के नजदीक स्थित मंदिर), 'ऋषि-मुनिंची मंदिरे' (ऋषि-मुनियों के मंदिर), 'देवाचे हाथ' (भगवान के हाथ), 'गाणारे दगड़-बोलणारे पाषाण' (गाने और बोलने वाले पत्थर), 'मंदिरातील प्राणीविश्व' (मंदिरों में उत्कीर्ण प्राणी) आदि। उन्होंने पाया कि कतिपय मंदिरों की दीवारों, मूर्तियों और खंभों से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। अपनी किताब 'गाणारे दगड़-बोलणारे पाषाण'में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है।

ND
भौतिकी विशेषज्ञों से इसका कारण जानने पर ज्ञात हुआ कि मंदिरों के निर्माण में उपयोग होनेवाले अलग-अलग किस्म के पाषाणों के कारण विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है। नांदेड़ जिले में भ्रमण के दौरान देगलुर गाँव में 1329 में निर्मित एक दरगाह के नजदीक 7 पत्थरों से अलग-अलग स्वर 'सारेगमपधनि' निकलने का अजूबा भी इन्होंने देखा। इसी प्रकार धुलिया जिले के भोणगाँव में स्थित महादेव मंदिर की दीवारों को हाथ से ठोकने पर सितार अथवा तानपुरे के स्वर छेड़ने का स्पष्ट आभास भी इन्हें हुआ।

गणेश प्रतिमा 42 हाथों वाली :- पुस्तक 'देवाचे हाथ' (भगवान के हाथ) में उन्होंने गणेशजी की 2 से लेकर 42 हाथों वाली विविध प्रतिमाओं, 24 हाथों वाली देवी प्रतिमा एवं 22 हाथों वाली हनुमानजी की दुर्लभ प्रतिमा का जिक्र किया है। हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों में प्रायः कछुआ, चूहा, सिंह आदि प्राणियों को देवताओं के वाहन अथवा अन्य रूपों में उत्कीर्ण करने की परंपरा रही है। परंतु कुंटे ने कुछ मंदिरों में परंपरा से हटकर ऊँट, छिपकली, गधा, बतख भी पत्थरों पर उत्कीर्ण किए हुए देखे। इसका जिक्र उन्होंने 'मंदिरातील प्राणी विश्व' में प्रमुखता से किया है। संग्रह 'निसर्गरम्य मंदिरे' में ऐसे देवस्थानों को शामिल किया गया है, जहाँ प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पड़ी है। ये मंदिर जंगलों, झरनों, नदियों के समीप स्थित है।

'इन्साइक्लोपीडिया ऑफ टेम्पल्स मिशन' का रिकार्ड

- 16 वर्षों से अब तक महाराष्ट्र के 33 जिलों के 17 हजार मंदिरों के दर्शन किए।
- कुंटे दम्पति द्वारा लिखी गई विविध किताबें।
- अभियान की शुरुआत के पूर्व कुंटे दम्पति ने पुणे शहर के 600 मंदिरों का भ्रमण किया।
- दूरस्थ क्षेत्र में स्थित गाँवों में आसानी से पहुँचने एवं समय बचाने के लिए अपनाया दोपहिया वाहन।
- मंदिरों में सर्वाधिक संख्या शिवालयों की थी, इसके बाद देवी मंदिरों की संख्या रही।
- प्रतिवर्ष छः माह (अक्टूबर से अप्रैल) तक रहते थे भ्रमण पर।
- संपूर्ण यात्राकाल में एक रात भी होटल में नहीं गुजारी।