मानसरोवर का प्राचीन रास्ता खोजा
विपत्ति के समय मिलेगी राहत
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के अभियान दल ने कैलास मानसरोवर यात्रा का प्राचीन रास्ता खोजा है जिसका यात्रा के दौरान किसी विपत्ति की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है। बल की उत्तराखंड के मिर्थी स्थित सातवीं बटालियन के दल ने छह ट्रेकिंग अभियानों की मदद से गाला से लेकर काठगोदाम तक के प्राचीन यात्रा मार्ग को खोज निकाला है। बटालियन के कमांडेन्ट एपीएस निम्बाडिया ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में इस मार्ग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बर्फ आदि पड़ने के कारण स़ड़क मार्ग बंद होने की स्थिति में यह वैकल्पिक मार्ग काफी उपयोगी साबित हो सकता हैं। यह मार्ग सड़क मार्ग से काफी अंदर हैं लेकिन यदि यात्री तीन, चार दिन के लिए फँसे हुए हैं तो यह उन्हें उनकी मंजिल तक पहुँचा सकता हैं। कमांडेन्ट निम्बाडिया ने इन मार्गों और कैलास मानसरोवर यात्रा के बारे में अपनी पुस्तक 'कुमाऊँ और कैलास में विस्तार से वर्णन किया है। इस पुस्तक का भी इस कार्यक्रम में बल के महानिदेशक आरके भाटिया ने विमोचन किया। भाटिया ने प्राचीन रास्ता खोजने के लिए बल के अभियान दलों और कमांडेन्ट निम्बाडिया की प्रशंसा की। हालाँकि उन्होंने कहा कि यह मार्ग उपयोग में नहीं लाया जा सकता और इसे इस्तेमाल लायक बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मार्ग का यात्रियों द्वारा इस्तेमाल करने के बारे में बल की कोई भूमिका नहीं है और इसके लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कमान्डेन्ट निम्बाडिया की टीम से कहा गया था कि सड़क मार्ग से पहले भी सैकड़ों वर्षों से यात्री अन्य मार्गो से कैलास मानसरोवर यात्रा पर जाते रहे हैं तो क्यों न उन प्राचीन मार्गों को खोजा जाए। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का चौथा दल 19 जून को अल्मोड़ा के लिए रवाना हो गया जिसमें 59 लोग शामिल हैं साथ ही इन यात्रियों की ब्रीफिंग बल के बेस अस्पताल में की गई है।