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Written By ND

केदारनाथ में ब्रह्मकमल पर संकट

केदारनाथ में ब्रह्मकमल पर संकट -
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केदारनाथ में ब्रह्मकमल तो बद्रीनाथ में गंधमाधन तुलसी का अंधाधुँध विदोहन इसके अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। इसी तरह हेमकुण्ट साहिब यात्रा में भी ब्रह्मकमल को नोचने का रिवाज-सा बन गया है। ब्रह्मकमल जो कि ऊँचाई वाले अक्षांशीय क्षेत्रों का एक दुर्लभ पुष्प है, जिसे राज्य सरकार ने अपने राज्य चिह्न का भी खिताब दिया है, का अत्यधिक दोहन ही इसके लिए खतरा बन रहा है।

इसे मद्देनजर रख बद्री-केदार मंदिर समिति ने इसके संरक्षण हेतु एक कार्ययोजना तैयार करने का दावा किया है। इस कार्ययोजना को राज्य शासन को भेजे जाने के बाद भी इस पर क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन मंदिर समिति द्वारा भेजे गए प्रस्ताव से यह जरूर है कि यह सब अब इस खतरनाक स्थिति तक पहुँच चुका है कि मंदिर समिति को भी इसके लिए आगे आना पड़ा।

बद्रीनाथ में गंधमाधन तुलसी की जंगल के रूप में बहुतायत थी। इसी तुलसी का अभिषेक भगवान बद्रीनाथ को किया जाता रहा था, तथापि आज इसकी माला बनाने से इसे प्रसाद के रूप में अंधाधुँध तरीके से नोच खसोट कर इसका जो विदोहन किया जा रहा है, उससे इसकी स्थिति काफी दयनीय हो चली है।

इसी प्रकार ब्रह्मकमल जिसे भगवान ब्रह्मा के कमल का नाम दिया गया था, को भी अंधाधुँध विदोहन के चलते अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया है। उच्च स्थलीय इन औषधि रूपी वस्तुओं की दुर्दशा पर मंदिर समिति को इनके संरक्षण के बाबत सोचने को मजबूर होना पड़ा है।