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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 6 मार्च 2025 (15:06 IST)

धुलेंडी के दिन क्या क्या करते हैं, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

Holi: धुलेंडी के दिन क्या क्या करते हैं, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त - What do you do on the day of Dhulandi
Holi 2025: होलिका दहन के बाद धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रंगवाली होली खेली जाती है। कई राज्यों में इसे होली कहते हैं। धुलेंडी को धुरड्डी, धुरखेल, धूलिवंदन, धुलंडी, धुरेंडी और चैत बदी आदि नामों से जाना जाता है। इस बार यह पर्व 14 मार्च 2025 शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन कई तरह के कार्य किए जाते हैं।ALSO READ: मथुरा-वृंदावन के अलावा इन जगहों की होली भी होती है रंगारंग, मजेदार होली के लिए आप भी पहुंच जाएं
 
पूजा का अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:07 से 12:54 के बीच।
पूजा का शाम का मुहूर्त: 06:26 से 07:41 के बीच। 
 
कैसे मनाते हैं धुलेंडी:
1. रंगवाली होली: पहले यह होता था कि धुलेंडी के दिन सुबह के समय लोग एक दूसरे पर कीचड़, मिट्टी, मुलतानी मिट्टी या धूल लगाते थे, जिसे धूल स्नान कहते हैं। पुराने समय में शाम के समय धुलेंडी के दिन टेसू के फूलों का रंग बनाकर एक दूसरे पर लगाया जाता था। अब यह नहीं होता है।
 
2. गमी वाले घर रंग डालना: इस दिन लोग एकजुट होकर अपने परिचितों या समाजजनों के उन घरों में रंग डालने जाते हैं जहां पर किसी की मृत्यु हो गई हो और उस घर की यह पहली होली हो। घर में रंग डालकर सभी को सूखा गुलाल लगाकर घर में गमी के माहौल को खत्म कर खुशी का माहौल बनाया जाता है। इससे घर का शुद्धिकरण भी होने की मान्यता है।ALSO READ: होलिका दहन और धुलेंडी के बाद क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी?
 
3. नाच गाना: इस दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाए जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहनकर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं।
 
3. शत्रुता भूलकर गले मिलना: ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। गले मिलकर एक दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं।
 
4. पकोड़े और गुजिया: राग-रंग के बाद शाम को स्नान आदि से निपटकर कुछ लोग भजिये यापी गिलकी के पकोड़े या गुझिया बनाकर ठंडाई का मजा लेते हैं। गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज है।ALSO READ: होली कितने प्रकार की होती है?
 
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