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Written By पं. उमेश दीक्षित

कर्ज में डूबे हैं तो पूजें श्री ऋणहर्ता गणेश

दारिद्रय का नाश करे, सुख-समृद्धि भरपूर मिले...

गणेश चतुर्थी
वर्तमान युग फाइनेंस का है। मनुष्य अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति, संस्था, बैंक से कर्ज लेकर भारी दर की ब्याज चुकाता है। उसकी व्यवस्था साधारणतया ऐसी होती है कि अपना मासिक बजट पूरा कर किस्तें चुकाता है।

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लेकिन कभी-कभी बजट में गड़बड़ी होती है तथा वह कर्ज चुकाने में असफल हो जाता है तथा महीने-दर-महीने वह खाई बढ़ती ही जाती है। ऐसी अवस्था में यदि वह ऋणहर्ता गणपति का आश्रय लें तो उसका बजट ठीक मार्ग पर आ सकता है। विधान पढ़ें अगले पेज पर -


- ध्यान -

दो भुजाओं वाले, सिंदूर वर्ण वाले, जिनका उदर काफी बड़ा, कमल दल पर विराजित, ब्रह्मा इत्यादि देवता जिनकी वंदना कर रहे हैं, सिद्धि देने वाले गण‍पति की मैं वंदना करता हूं।


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मंत्र

ॐ गणेश ऋणं छिन्दि वरेण्यं हुं नम: फट्‍।

विनियोग करने के लिए हाथ में जल लें। विनियोग का पाठ कर जल छोड़ें।


विनियोग पढ़ें अगले पेज पर -



विनियोग :


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ॐ अस्य श्री ऋण हरणकर्ता गणपति स्तोत्र मंत्रस्य सदाशिव ऋषि:, अनुष्टुप छन्द: श्री ऋण हरणकर्ता गण‍पति देवता, ग्लौं बीजम्, ग: शक्ति:, गौं कीलकम् मम सकल ऋण नाशने जपे विनियोग: (जल छोड़ दें)

ऋषियादि न्यास-

ॐ सदा‍‍शिव ऋषिये नम: शिरसि, अनुष्टुप छन्दसे नम: मुखे, श्री ऋणहर्ता गणेश देवतायै नम: हृदि, ग्लौं बीजाय नम: गुह्ये, ग: शक्तये नम: पादयो:, गौं कीलकाय नम: नाभौ विनियोगाय नम: सर्वांगे।

करन्यास-

श्री गणेश अंगुष्ठाभ्यां नम:, ऋणं छि‍न्दि तर्जनीभ्यां नम:, वरेण्यं मध्यमाभ्यां नम:। हुम् अनामिकाभ्यां नम:। नम: कनिष्ठिकाभ्यां नम:, फट्‍ करतल कर पृष्ठाभ्यां नम: (‍निर्देशित अंग को छुएं)।

हृदयादि न्यास :

ॐ गणेश हृदयाय नम:, ऋणं छि‍न्दि शिरसे स्वाहा, वरेण्यं शिखायै वषट्, हुम् कवचाय हुम्, नम: नैत्रत्रयाय वौषट फट् अस्त्राय फट्।

निर्दिष्ट अंग को छूकर ध्यान करें तथा माला का पूजन कर जप करें।

स्मरणीय रहे कि संकल्प लेना है। किसी भी कार्य के लिए संकल्प लेना ‍अनिवार्य है। विधान का पालन करें।

एक लाख जप कर दशांश हवन करें। हवन मधुत्रय (घृत-मधु-शर्करा) से करने से दारिद्रय का नाश होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।