गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. प्रादेशिक
Written By भाषा
Last Modified: चेन्नई , सोमवार, 29 जुलाई 2013 (12:59 IST)

एनईईटी शुरू करने का प्रस्ताव खारिज हो- जयललिता

एनईईटी शुरू करने का प्रस्ताव खारिज हो- जयललिता -
FILE
चेन्नई। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अनुरोध किया कि राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) फिर से शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को रद्द किया जाए और उच्चतम न्यायालय के स्नातक एवं परास्नातक मेडिकल एवं दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा खारिज करने के आदेश का पालन किया जाए।

शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए जयललिता ने कहा कि इस फैसले ने उस नीति से संबंधित विवाद को खत्म दिया जिससे स्नातक एवं परास्नातक स्तरों पर मेडिकल और डेंटल सीटों के महत्वाकांक्षी छात्रों को अनिश्चित चयन प्रक्रिया के ‘कष्ट’ से गुजरना पड़ा, जो उनके तथा तमिलनाडु के हितों के खिलाफ है।

उन्होंने सिंह को लिखे पत्र में कहा कि बहुमत वाले फैसले में तमिलनाडु द्वारा जताई गई सभी वैध आपत्तियों और अन्य याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सही ठहराया गया है। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का काफी स्वागत किया गया है।

हालांकि इस फैसले का पालन करने की जगह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने एक बयान जारी करके संकेत दिए कि केंद्र इस फैसले की समीक्षा के लिए शीर्ष अदालत से गुहार लगा सकता है।

उन्होंने कहा कि इसने एक बार फिर तमिलनाडु के हजारों छात्रों के मन में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। इन छात्रों को ध्यान में रखकर तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट और पारदर्शी प्रवेश नीति बनाई है, जो अच्छा काम कर रही है।

जयललिता ने कहा कि तमिलनाडु उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा के केंद्र के किसी भी नए प्रयास और एनईईटी फिर से लागू करने के प्रयासों पर कड़ी आपत्ति जताता है, क्योंकि यह तमिलनाडु में मेडिकल संस्थानों के लिए प्रवेश नीतियों और राज्य के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

उन्होंने कहा कि एनईईटी फिर से लागू करने को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के कथित प्रस्ताव को तुरंत रद्द करना चाहिए। भारत सरकार को उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करना चाहिए।

एनईईटी शुरू करने के खिलाफ सिंह को लिखे पुराने पत्रों को याद करते हुए जयललिता ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने राज्य में पेशेवेर स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा हटाने के लिए 2005 से कई प्रयास किए।

उन्होंने कहा कि राज्य में संयुक्त प्रवेश परीक्षा खत्म करने के फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े मेधावी छात्रों को फायदा हुआ।

जयललिता ने कहा कि तमिलनाडु पेशेवर पाठ्यक्रमों में पिछड़े और अति पिछड़ों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उम्मीदवारों को 69 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की नीति अपनाता है। (भाषा)