तृणमूल सांसद ने नारद स्टिंग को सार्वजनिक करने से मना किया था
कोलकाता। नारद न्यूज के एडिटर मैथ्यू सैमुअल ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत लेते दिखाने वाले स्टिंग टेप को सार्वजनिक करने में 2 वर्षों का विलंब पार्टी के एक सांसद की वजह से हुआ जिसने टेपों को जारी करने से मना कर दिया था। इस सांसद ने उस कंपनी का स्वामित्व हासिल कर लिया था जिसने उन्हें यह काम सौंपा था।
नारद स्टिंग टेपों की सीबीआई जांच की मांग करने वाली 3 जनहित याचिकाओं पर अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सैमुअल के वकील अरुणाभ घोष ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिता म्हात्रे और न्यायमूर्ति टी. चक्रवर्ती की पीठ से कहा कि यद्यपि स्टिंग 2014 में किया गया था लेकिन इसे 2016 में ही सार्वजनिक किया जा सका, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य केडी सिंह ने तहलका डॉट कॉम का स्वामित्व हासिल कर लिया था जिसने उन्हें स्टिंग ऑपरेशन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, जब वेबसाइट का स्वामित्व पिछले प्रबंधन के तहत था। घोष ने कहा कि सिंह ने वीडियो जारी करने से मना कर दिया।
नारद न्यूज का बाद में गठन किया गया था जिसके सैमुअल अब संपादक हैं और तब स्टिंग वीडियो को मार्च 2016 में जारी किया गया था। राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री सोभन चटर्जी, सुब्रत मुखर्जी, शुवेंदु अधिकारी, सांसद काकाली घोष दस्तीदार और पूर्व मंत्री मदन मित्रा समेत तृणमूल नेताओं के वकीलों ने सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिकाओं का जोरदार विरोध किया है और जो मुख्य आधार उन्होंने दिए हैं, उसमें विलंब भी एक है।
वकील ने दावा किया है कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं को कथित तौर पर धन लेते दिखाने वाले स्टिंग वीडियो को सोद्देश्य पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जारी किया गया। इसका उद्देश्य राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की छवि को धूमिल करना था। सीबीआई के वकील ने 2 सदस्यीय पीठ के एक सवाल पर कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी आईपीसी और सीआरपीसी से चलती है। अगर अदालत का निर्देश हो तो उसके पास प्रारंभिक जांच करने की वैधानिक शक्ति है। (भाषा)