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Last Modified: रविवार, 7 अगस्त 2022 (15:43 IST)

Air Pollution : दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर इस तरह होगा नियंत्रण, 1 अक्टूबर से लागू होगी योजना

Air Pollution : दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर इस तरह होगा नियंत्रण, 1 अक्टूबर से लागू होगी योजना - This is how air pollution will be controlled in Delhi NCR
नई दिल्ली। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए संशोधित वर्गीकृत प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) सामान्य तिथि से 15 दिन पहले यानी एक अक्टूबर से लागू होगी।संशोधित योजना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सीएक्यूएम द्वारा तैयार नई नीति का हिस्सा है। यह पूर्वानुमान के आधार पर अग्रसक्रिय तरीके से प्रतिबंध लागू करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने यह जानकारी दी। आयोग ने स्थिति की गंभीरता के अनुरूप प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू जीआरएपी में विस्तृत रूप से संशोधन किया है। संशोधित योजना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सीएक्यूएम द्वारा तैयार नई नीति का हिस्सा है।

यह पूर्वानुमान के आधार पर अग्रसक्रिय तरीके से प्रतिबंध लागू करने पर ध्यान केंद्रित करती है और इसके तहत पाबंदियां तीन दिन पहले से लगाई जा सकती हैं। इससे पहले, अधिकारी वातावरण में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के बाद ही प्रदूषण से निपटने के उपाय लागू करते थे।

नई योजना के तहत दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 से अधिक होने पर आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बीएस-चार मानक तक के सभी चार पहिया वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है।

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 2017 में जीआरएपी को अधिसूचित किया था और यह सामान्य तौर पर 15 अक्टूबर से लागू होता है, जब वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि शुरू होती है। राज्य की एजेंसी एवं संबंधित विभागों को भेजे संवाद के अनुसार, सीएक्यूएम ने अब इसे एक अक्टूबर से लागू करने का फैसला किया है।

एनसीआर के लिए जीआरएपी को अब खराब वायु गुणवत्ता के आधार पर चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया है। पहला स्तर ‘खराब’ (एक्यूआई 201 से 300 के बीच), दूसरा स्तर ‘बहुत खराब’ (एक्यूआई 301 से 400 के बीच), तीसरा स्तर ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401 से 450 के बीच) और चौथा स्तर ‘अति गंभीर’ (एक्यूआई 450 से अधिक) है।

संशोधित जीआरएपी के तहत पहले स्तर पर प्रदूषण होने पर होटल में तंदूरों, खुले में संचालित ढाबों, डीजल जेनरेटर आदि में कोयला एवं लकड़ी जलाने पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। इस श्रेणी में केवल आवश्यक और आपात सेवाओं को इन दो ईंधनों के इस्तेमाल की छूट मिलेगी।

अगर स्थिति ‘गंभीर’ (तीसरे स्तर पर) होती है तो अधिकारी दिल्ली-एनसीआर में आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर निर्माण और ध्वस्तीकरण के कार्य पर रोक लगा देंगे। इस स्तर के प्रदूषण के दौरान गैर-प्रदूषणकारी कार्यों जैसे लकड़ी, आंतरिक सज्जा और बिजली के काम पर रोक नहीं होगी।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण तीसरे स्तर पर पहुंचने पर स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल न करने वाले ईंट भट्टे, हॉट मिक्स संयंत्र, पत्थर तोड़ने वाले संयंत्र और खनन गतिविधियां भी प्रतिबंधित रहेंगी। नीतिगत दस्तावेज में कहा गया है, दिल्ली-एनसीआर की सरकारें प्रदूषण के तीसरे स्तर पर बीएस-तृतीय मानक के पेट्रोल वाहन और बीएस-चतुर्थ मानक वाले हल्के डीजल मोटर वाहन पर भी रोक लगा सकती हैं।

दस्तावेज के मुताबिक, चौथे चरण या ‘अति गंभीर’ स्थिति से निपटने की योजना के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश और शहर में पंजीकृत मध्यम एवं भारी मालवाहक वाहनों की आवाजाही पर भी रोक रहेगी, लेकिन आवश्यक सेवाओं में शामिल ऐसे वाहनों के परिचालन को प्रतिबंध से ढील दी जाएगी।

चौथे स्तर के प्रदूषण के दौरान दिल्ली और एनसीआर के जिलों में बीएस-छठे मानक के वाहन और आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छोड़कर डीजल चालित हल्के मोटर वाहन भी प्रतिबंधित रहेंगे। चौथे स्तर के प्रदूषण की स्थिति में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ईंधन से चलने वाले उद्योगों और राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, बिजली पारेषण व पाइपलाइन के निर्माण और ध्वस्तीकरण की गतिविधियां भी प्रतिबंधित रहेंगी।

दस्तावेज के मुताबिक, राज्य सरकारें सरकारी और निजी कार्यालयों के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से ही काम करने देने की अनुमति देने पर विचार कर सकती हैं। इसके अलावा, वे शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने और वाहनों के परिचालन के लिए सम-विषम व्यवस्था लागू करने पर विचार कर सकती हैं। स्तर दो, तीन और चार के तहत कार्ययोजना को लागू करने के लिए कम से कम बीते तीन दिनों के एक्यूआई पर विचार किया जाएगा।

इससे पहले, अधिकारी पीएम-2.5 या पीएम-10 के स्तर के आधार पर प्रदूषण प्रतिक्रिया कार्ययोजना लागू करते थे। ‘अति गंभीर’ स्तर घोषित करने के लिए एजेंसियों को कम से कम 48 घंटे या उससे अधिक समय तक पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर क्रमश: 300 और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक होने का इंतजार करना पड़ेगा।

दस्तावेज के अनुसार, जीआरएपी की उप समिति जरूरी कदम उठाने और उचित आदेश पारित करने के लिए समय-समय पर बैठक करती रहेगी। ये कदम और आदेश भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा समय-समय पर एक्यूआई को लेकर किए गए पूर्वानुमान पर आधारित होंगे।(भाषा)
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