संघ का फार्मूला : ढाई-ढाई साल के लिए हो शिवसेना-भाजपा का मेयर
मुंबई में बीएमसी चुनाव के खंडित नतीजे आने के बाद से जारी गतिरोध के बीच एक नया फॉर्मूला सामने आया है। आरएसएस विचारक एमजी वैद्य ने कहा है कि राज्य में गठबंधन सरकार चलाने वाली भाजपा और शिवसेना को ढाई-ढाई साल के लिए मेयर पद रखना चाहिए। वैद्य ने कहा कि बीएमसी में सबसे बड़ा दल होने के नाते शिवसेना को मेयर का पद पहले मिलना चाहिए।
ऐसी अटकलें थीं कि शिवसेना कांग्रेस का समर्थन ले सकती है लेकिन सोमवार को कांग्रेस ने कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है। बीएमसी चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। हालांकि, शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, लेकिन दूसरे नंबर पर रही भाजपा भी सीटों के मामले में शिवसेना के करीब ही है। 227 सीटों वाली बीएमसी में शिवसेना को 84, भाजपा को 82, कांग्रेस 31, एनसीपी को 7 और एमएनएस को 7 सीटें मिली हैं। बहुमत का आंकड़ा 114 होता है।
कांग्रेस और एनसीपी :
इस बीच, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी सभी नगर निगमों और जिला परिषदों में कांग्रेस से हाथ मिलाएगी। सीएम देवेन्द्र फड़णवीस ने इस बात से पहले ही इनकार कर दिया है कि भाजपा बीएमसी में कांग्रेस की मदद मांग रही है। पवार ने नांदेड़ में संवाददाताओं से कहा, राकांपा चुनाव बाद के परिदृश्य में राज्य के सभी 10 नगर निगमों और 25 जिला परिषदों में गठबंधन करेगी।
उन्होंने कहा, अगर दोनों पार्टियां गठबंधन करती हैं तो 25 जिला परिषदों में से करीब 17 से 18 में सत्ता में आ सकती हैं। आने वाले दिनों में मुंबई में एक बैठक होने वाली है, जहां गठबंधन को अंतिम रूप दिया जाएगा। आपको बता दें कि 25 जिला परिषदों की 1509 सीटों में बीजेपी ने 406, कांग्रेस ने 309, राकांपा ने 360 और शिवसेना ने 271 सीटों पर जीत हासिल की है।
नगर निकाय चुनावों के बाद राज्य सरकार के अस्थिर होने की पहले की धारणा पर पवार ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के व्यवहार को देखते हुए वह नहीं मानते कि उनकी पार्टी राज्य सरकार से अलग होगी। लेकिन अगर वह ऐसा करते हैं तो उनकी पार्टी चुनाव के लिए तैयार हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या राकांपा बीएमसी में शिवसेना का समर्थन करेगी तो पवार ने कहा, मेरा मानना है कि शिवसेना बीएमसी में सत्तारूढ़ गठबंधन बनाने के लिए पयार्प्त संख्या बल की व्यवस्था कर रही है। अगर राकांपा के समर्थन की जरूरत हुई तो स्थानीय स्तर पर फैसला किया जाएगा।