मोरारी बापू पर की टिप्पणियों के विरोध में कलाकारों व स्तंभकार ने लौटाए पुरस्कार
अहमदाबाद। रामकथा वाचक मोरारी बापू पर टिप्पणियों का विरोध करते हुए गुजरात के 9 लोक कलाकारों और एक जाने-माने स्तंभकार ने स्वामीनारायण संप्रदाय के एक समूह से मिले पुरस्कारों को लौटा दिया है। स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े लक्ष्मीनारायण देवपीठ (वडताल) के कुछ नेताओं ने 'नीलकंठ' या 'नीलकंठ वर्णी' शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर मोरारी बापू की टिप्पणियों की आलोचना की है।
बापू ने कहा था कि 'नीलकंठ' केवल एक हैं, वे भगवान शिव हैं और अन्य किसी को इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हालांकि बाद में बापू ने खेद जता दिया, लेकिन लक्ष्मीनारायण देवपीठ के कुछ नेताओं ने उनसे स्पष्ट रूप से माफी मांगने को कहा। नेताओं ने कुछ तीखी टिप्पणियां भी कीं।
देवपीठ के एक धार्मिक नेता ने कथित तौर पर कहा कि लोक कलाकार नशा करके प्रस्तुति देते हैं। इसके विरोध में पिछले 2 दिन में 9 कलाकारों और स्तंभकार जय वसावडा ने देवपीठ द्वारा उन्हें दिए गए 'रत्नाकर' पुरस्कार को लौटाने की घोषणा की है। इन कलाकारों में भजन गायक हेमंत चौहान, लोक कलाकार मायाभाई अहीर, सैराम दवे, धीरू सरवैया और उस्मान मीर शामिल हैं।
गुजराती अखबारों के लिए लिखने वाले वसावडा ने कहा कि मेरा पुरजोर विश्वास है कि मोरारी बापू ने अपने प्रवचन के दौरान किसी का अपमान नहीं किया, क्योंकि मैं वहां था। इसके विपरीत मुझे लगता है कि कुछ लोगों ने भगवान शिव और बापू का अपमान किया।
उन्होंने कहा कि मैंने सार्वजनिक रूप से पुरस्कार प्राप्त किया था इसलिए सार्वजनिक रूप से इसे लौटाने की घोषणा कर रहा हूं। अहीर ने कहा कि मोरारी बापू का नाम बिना वजह इस विवाद में खींचा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बापू निर्मल और यथार्थपूर्ण व्यक्तित्व हैं। उनके मन में कभी किसी के लिए कोई गलत भावना नहीं रही। इसके बाद भी कुछ लोगों ने उनसे माफी मांगने को कहा।