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Last Updated : सोमवार, 6 जून 2016 (12:31 IST)

जवाहर बाग में आलू की बोरियों में आते थे हथियार, बाग में बिछी है बारूदी सुरंगे?

जवाहर बाग में आलू की बोरियों में आते थे हथियार, बाग में बिछी है बारूदी सुरंगे? - new revelations on Jawahar Bag  violence
मथुरा के जवाहर बाग में पनपे रामवृक्ष के खूनी साम्राज्य की जांच करने पर नित नए खुलासे सामने आ रहे हैं। इस सनकी सत्याग्रही को कौन वित्तीय मदद देता था और उसका अकाउंट संंभालता था, उसका भी पता चल गया है।


जवाहर बाग कांड को लेकर जो नया खुलासा हुआ है। यह बात सबके सामने आ गई है कि हिंसा के मास्टरमाइंड को कौन फाइनेंस करता था। उसका नाम है राकेश बाबू गुप्ता, जो फिलहाल फरार चल रहा है। वह बदायूं जिले का रहने वाला है। यादव को हथियार खरीदने के पैसे यही शख्स देता था। 
कौन है सनकी सत्याग्रहियों का दानदाता: स्थानीय लोगों का कहना है कि राकेश गुप्ता कई संपत्तियों का मालिक है और लग्जरी गाडिय़ों में घूमता है। जानकारी के मुताबिक राकेश बाबू गुप्ता बदायूं के हजरतपुर थानाक्षेत्र में स्थित गढिय़ा शाहपुर गांव का रहने वाला है। वह प्रसिद्धिपुर गांव की को-ऑपरेटिव कमेटी का सेक्रेटरी है। लोगों के मुताबिक, गुप्ता ने कुछ समय में ही बड़ी प्रॉपर्टीज जुटा ली। वह महंगी लग्जरी गाडिय़ों में चलता है और उसने कई मकान और प्लॉट खरीद रखे हैं। गुप्ता का दातागंज में कांसपुर रूट पर और सिविल लाइंस थाना एरिया में इंद्रा चौक के पास गली में मकान है। 
 
बोरियों में भरकर लाए जाते थे हथियार : पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि हथियार आलू की बोरियों में भरकर जवाहर बाग लाए जाते थे। यही नहीं बाग से विस्फोटक पाउडर व ग्रेनेड बनाने की इलेक्ट्रॉनिक प्लेट बरामद हुई है। रविवार को पुलिस को यहां से विस्फोटक पाउडर, इलेक्ट्रॉनिक प्लेट और छर्रे मिले। एसएसपी राकेश सिंह ने बताया कि जवाहर बाग में सर्च ऑपरेशन में बीडीएस और फॉरेंसिक टीम को 2.5 किग्रा गन पाउडर, 5 किग्रा गंधक, 1 किग्रा पोटास, 1 इलेक्ट्रॉनिक प्लेट और 0.5 किग्रा लोहे के छर्रे मिले हैं।
 
बारूदी सुरंग बिछी होने की आशंका : पुलिस को शक है कि यहां बारूदी सुरंग हो सकती है, इसलिए लखनऊ से एक टीम यहां आकर बारूदी सुरंगों की तलाश कर रही है। उपद्रवियों के पास से मिले असलहे और ऑपरेशन के वक्त हुए धमाकों से उठी रंगीन लपटों को देख पुलिस को जवाहर बाग में बारूदी सुरंग बिछी होने का अंदेशा है। इतने बड़े पैमाने पर असलहे को देखकर शक है कि कहीं रामवृक्ष के संबंध नक्सलियों से तो नहीं थे। 
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