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Last Modified: गुरुवार, 3 मार्च 2022 (20:50 IST)

नवाब मलिक की मुश्किलें बढ़ीं, ED हिरासत 7 मार्च तक बढ़ी

नवाब मलिक की मुश्किलें बढ़ीं, ED हिरासत 7 मार्च तक बढ़ी - Nawab Malik ED Money Laundering
मुंबई। यहां की एक विशेष अदालत ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लांड्रिंग जांच मामले में महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक की प्रवर्तन निदेशालय (ED) हिरासत गुरुवार को 7 मार्च तक बढ़ा दी।
 
ईडी ने सुनवाई के दौरान माना कि उसकी पिछली रिमांड याचिका में गलती थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि मलिक ने इब्राहिम की बहन दिवंगत हसीना पारकर को 55 लाख रुपए का भुगतान किया था और इसे 5 लाख रुपए के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। मलिक को दक्षिण मुंबई स्थित ईडी के कार्यालय में लगभग 5 घंटे तक चली पूछताछ के बाद गत 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।
 
उनकी शुरुआती हिरासत अवधि खत्म होने के बाद गुरुवार को उन्हें न्यायाधीश आरएन रोकाडे की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया था। उसकी और हिरासत का अनुरेध करते हुए, ईडी ने अदालत को बताया कि मलिक ने उपनगरीय कुर्ला में एक अन्य संपत्ति पर कथित रूप से अवैध रूप से कब्जा कर लिया था।
 
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले रिमांड आवेदन में उल्लिखित 55 लाख रुपये के आंकड़े में ‘टाइपिंग की त्रुटि’थी और इसे 5 लाख रुपए के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।
 
मलिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके मुवक्किल ने इस विवाद के बाद छह दिन जेल में बिताए थे कि 55 लाख रुपये का भुगतान किया गया था।
 
देसाई ने कहा कि आप (ईडी) उन्हें गिरफ्तार करने में जल्दबाजी न करें। अपना दिमाग लगाओ … अपना होमवर्क करो। मलिक की रिमांड 6 दिन बढ़ाने पर जोर देते हुए ईडी ने कहा कि अदालत ने शुरुआत में ईडी को तीन मार्च तक के लिए मंत्री की हिरासत दी थी, लेकिन उन्हें 25 से 28 फरवरी के बीच इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इस अवधि के दौरान उनसे पूछताछ नहीं की जा सकती थी।
 
अदालत ने कहा कि मलिक कुछ दिनों से अस्पताल में थे और नए तथ्य सामने आए हैं, इसलिए आरोपी को आगे की हिरासत में भेजा जा रहा है। ईडी का मामला दाऊद इब्राहिम और अन्य के खिलाफ हाल में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज की थी।