गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. March for transfer of government employees
Written By
Last Updated : गुरुवार, 2 जून 2022 (17:00 IST)

टारगेट किलिंग के बीच सरकारी कर्मचारियों का गृह जिलों में स्थानांतरण के लिए मार्च

टारगेट किलिंग के बीच सरकारी कर्मचारियों का गृह जिलों में स्थानांतरण के लिए मार्च - March for transfer of government employees
जम्मू। कश्मीर में बढ़ती लक्षित हत्या की घटनाओं के बीच घाटी में तैनात सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने अपने-अपने गृह जिलों में तत्काल स्थानांतरण की मांग को लेकर गुरुवार को यहां मार्च निकाला। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों के शिक्षिका रजनी बाला की हत्या करने के बाद उनके साथी कर्मचारी उनकी तस्वीर और स्थानांतरण की मांग के समर्थन में तख्तियां हाथ में लिए नजर आए। उन्होंने नारेबाजी भी की। मार्च प्रेस क्लब से अंबेडकर चौक तक निकाला गया।

 
'ऑल जम्मू-बेस्ड रिजर्व कैटेगरी एंप्लॉईज एसोसिएशन' के बैनर तले इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे काम पर नहीं जाएंगे, क्योंकि सरकार लक्षित हत्याओं को रोकने और उन्हें सुरक्षित माहौल मुहैया कराने में विफल रही है। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में तैनात शिक्षक रमेश चंद ने कहा कि जम्मू के विभिन्न जिलों के लगभग 8,000 कर्मचारी अंतर-जिला स्थानांतरण नीति के तहत कश्मीर में काम कर रहे हैं और हम मौजूदा माहौल को देखते हुए नौकरी पर नहीं लौटेंगे। हम पिछले 15 वर्षों से वहां काम कर रहे हैं, लेकिन बढ़ती लक्षित हत्याओं को देखते हुए असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि वे रजनी बाला को श्रद्धांजलि देने आए हैं और सरकार से उनकी नाबालिग बेटी को मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करने तथा उसके लिए सरकारी नौकरी दिलाने की मांग करते हैं। कुलगाम जिले में राजस्थान के एक बैंक प्रबंधक विजय कुमार की ताजा हत्या का जिक्र करते हुए रमेश चंद कहा कि हम बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से निराश हैं, क्योंकि वहां मुस्लिम, हिन्दू और सिख सहित कोई भी सुरक्षित नहीं है। कोई भी कभी भी आतंकवादियों के निशाने पर आ रहा है।
 
उत्तरी कश्मीर के कूपवाड़ा जिले में तैनात एक अन्य शिक्षिका अंजना बाला ने कहा कि हमें सरकारी आवास या पदोन्नति की आवश्यकता नहीं है, हम केवल घाटी से हमारा स्थानांतरण चाहते हैं, क्योंकि प्रत्येक कर्मचारी को सुरक्षा प्रदान करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि घाटी में कोई सुरक्षित जगह नहीं है और हम घाटी के भीतर पुनर्वास के सरकारी प्रस्ताव को मानने को तैयार नहीं हैं।