केदार और यमुनोत्री धाम आज हुए बंद, गंगोत्री और यमुनोत्री की डोलियों को विराजमान किया गया उनके शीतकालीन मठों में
देहरादून। केदार और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर चल विग्रह डोलियां उनके शीतकालीन प्रवास को रवाना हो गई हैं जबकि गंगोत्री के पट शुक्रवार को बंद होने के बाद आज शनिवार को मां गंगा अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा स्थित गंगा मंदिर में विराजमान हो गई हैं। मां गंगा की भोग मूर्ति उत्सव डोली के पहुंचने पर ग्रामीणों ने बेटी की तरह मां गंगा का स्वागत कर उनका पूजन-अर्चन किया।
विश्वप्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भाई दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाने के बाद मां यमुना की डोली भी शीतकालीन मठ खरसाली खुशीमठ पहुंच गई। शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास पर खरसाली पहुंचने के बाद आगामी 6 महीने यहीं दर्शन देंगी। भैया दूज के अवसर पर दोपहर 11 बजकर 43 मिनट पर 6 माह शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके बाद दोपहर में 12 बजकर 15 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में यमुनोत्री के पट बंद हो जाने के बाद मां यमुना की पूजा यहीं की जाएगी। इस बार धाम खुलने के बाद अब तक करीब 35 हजार श्रद्धालुओं ने मां यमुनाजी के यमुनोत्री धाम में दर्शन किए।
इससे पूर्व आज शनिवार सुबह भगवान केदारनाथ के भी पट शीतकाल तक के लिए बंद कर दिए गए। केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8 बजे बंद कर दिए गए। बाबा की डोली धाम से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी जबकि 7 नवंबर को बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी, जहां 6 माह तक श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन व पूजा-अर्चना कर सकेंगे।
शनिवार सुबह 4 बजे से केदारनाथ मंदिर में बाबा की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हुई। मुख्य पुजारी बागेश लिंग द्वारा बाबा केदार की विधि-विधान से अभिषेक कर आरती उतारी गई। साथ ही स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देते हुए लिंग को भस्म से ढंक दिया गया। इसके बाद बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रृंगार कर चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया।
परंपरानुसार बाबा केदार की मूर्ति को मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया। बाबा केदार की डोली केदार मंदिर की 3 परिक्रमा करते हुए श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर गई। यह डोली रुद्रा प्वॉइंट, लिनचोली, रामबाड़ा, भीमबली, जंगल चट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग में भक्तों को आशीर्वाद देते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 6 नवंबर को डोली रामपुर से प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 7 नवंबर को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति को विधि-विधान के साथ शीतकालीन पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान कर दिया जाएगा।