पहाड़ी क्षेत्र गुलजार, सैलानियों को देख झूम उठे व्यापारी
कोरोना का सितम कम होते ही घरों में कैद लोगों ने अब घूमना-फिरना शुरू कर दिया है। चिलचिलाती गर्मी से निजात पाने के लिए पर्यटकों ने पहाड़ों की तरफ रुख कर लिया है। पिछले सवा साल से कोरोना के चलते पर्यटन पर ब्रेक लगा था, लेकिन अब सरोवर की नगरी नैनीताल एक बार फिर से पर्यटकों से गुलजार हो गया है। नैनीताल में एक सप्ताह के भीतर 50,000 से ज्यादा सैलानी पहाड़ी वादियों की शोभा को निहार रहे है। हिमाचल की वादियों में भी सैलानियों के पहुंचने से शिमला और मनाली का नजारा बदल गया है।
उत्तराखंड के सभी पर्यटक स्थल कोरोनावायरस संक्रमण के चलते पूरी तरह बंद होने से व्यापार चौपट हो गया था। अब जैसे-जैसे संक्रमण की गति कम हो रही है, वैसे ही पर्यटक नैनीताल की तरफ रुख कर रहे हैं, जिसके चलते स्थानीय कारोबारियों के चेहरे पर खुशी है और उन्हें इस वर्ष अच्छे व्यापार की उम्मीद है। सैलानियों की बढ़ती संख्या के चलते नैनीताल में पार्किंग फुल हो गई है, इस कारण से शहर में जाम की स्थिति बन रही है।
स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नैनीताल शहर में जाम न लगे इसके लिए पुलिस प्रशासन के द्वारा नैनीताल के एंट्री पॉइंट पर वाहनों को रोककर बुक कर भेजा जा रहा है। जाम में फंसने के बाद भी नैनीताल पहुंचे सैलानी खुश हैं। उनका कहना है कि भले ही उन्हें नैनीताल के सरोवरों तक पहुंचने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, ये परेशानी मैदानी क्षेत्र के 42 डिग्री तापमान है, जो झुलसा देने वाला है। फिलहाल नैनीताल का मौसम बेहद सुहावना है, घरों में कैद और गर्मी से परेशान लोग अब इस भ्रमण के इस मौके को गंवाना नही चाहते है।
नैनीताल के ऊंचे पहाड़ों के नजारे सरोवरों की खूबसूरती को पर्यटक अपनी स्मृतियों में कैद करके ले जाना चाहते है, कभी सैलानी पहाड़ी टीले के ऊपर या झील में नौकाविहार करते हुए सेल्फी और फोटो खिंचवाते नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों में लोगों को हंसते-गाते देकर भले ही सुकून मिल रहा है।
यही हाल का शिमला का है, यहां की पार्किंग फुल हो रही है। कोरोना कर्फ्यू के बाद एक बार फिर शहर में कोरोना से बेखौफ होकर लोग पहाड़ों के सुहावने मौसम का लुत्फ उठाने के लिए पहुंच रहे हैं। सैलानियों की आवाजाही से रिज मैदान और मालरोड पर सैलानियों की चहल पहल बढ़ रही है। शिमला में रिज मैदान पर सैलानी घुड़सवारी का जहां लुत्फ उठा रहे हैं, वहीं घोड़ा संचालक सैलानियों को घुड़सवारी करवा कर पैसे कमा रहे हैं। पर्यटन क्षेत्रों में ढाबा, रेस्टोरेंट और होटल कारोबारियों की पर्यटकों के आने से चांदी हो गई है,
लेकिन कोरोना काल की क्रूर यादों को अभी विस्मृत करना सही नही होगा, क्योंकि कोरोना पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, कमजोर जरूर पड़ा है। ऐसे में कोरोना की गाइडलाइंस का पालन अपने और परिवार के लिए जरूरी है।