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Written By कीर्ति राजेश चौरसिया
Last Updated : गुरुवार, 5 जनवरी 2017 (15:37 IST)

महिला सरपंच का कमाल, रचा इतिहास (वीडियो)

महिला सरपंच का कमाल, रचा इतिहास. - famle sarpanch swach bhart abhiyaan
छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की बिजावर विधानसभा के ग्राम बड़ागांव की महिला सरपंच ने मिसाल पेश की है। सरपंच उमा साहू ने अपने जेवर, जमीन गिरवी रखकर अपनी पंचायत और पूरे गांव में हर घर में शौचालय बनाए और संरपंचों के लिए नजीर पेश की।
महिला सरपंच उमा के मुताबिक एक कुछ समय पहले गांव में शादी-ब्याह के रिश्ते की बात करने वाले आए तो उन्होंने सिर्फ इस बात पर रिश्ता न करने की बात कह दी थी कि आपके घर में शौचालय नहीं है। इस कारण हम अपनी बेटी की शादी यहां नहीं करेंगे। यह बात गांव में बिजली की तरह फ़ैल गई और मुझ तक पहुंची। तभी मैंने प्रण किया कि चाहे जो हो जाए पूरे गांव में हर घर में शौचालय बनवाऊंगी। 
भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान योजना के तहत हितग्राही को अपने घर में पहले शौचालय का निर्माण कराना होता है। निर्माण और सत्यापन बाद प्रोसेस के तहत यह राशि उनके खाते में आती है। तब कहीं जाकर भुगतान हो पाता है। गांव में लोग लापरवाही, गरीबी और अपनी पूंजी पहले न लगाने के चलते शौचालय निर्माण नहीं करवाते जिस कारण से यह योजना गांवों में लागू नहीं हो पाती। 
 
गिरवी रख दिए जेवर : कर्ज के लिए उमा ने पहले तो अपने गहने जेवर साहूकार के यहाँ गिरवी रखे, जिनसे उन्हें 2 लाख रुपए प्राप्त हुए, लेकिन लक्ष्य के आगे पैसा कम पड़ गया, तब उन्होंने खेती की जमीन भी गिरवी रख दी और 5 लाख रुपए और लगाकर पूरे गांव में 348 शौचालयों का निर्माण करवाया। कर्ज के बोझ तले दबी महिला सरपंच ब्याज भी खुद ही भर रही हैं। लोगों के शौचालयों के सत्यापन के बाद जब उनके खाते में यह राशि आएगी तब कहीं जाकर महिला सरपंच को यह राशि धीरे-धीरे मिलेगी और तब कहीं जाकर उन्हें कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
 
प्रमाण पत्र के लिए लगाना पड़ रहे हैं चक्कर : पूरी तरह शौचालय  युक्त और खुले में शौच मुक्त होने के बाद भी अधिकारी पंचायत को ओपन डिफिकेशन फ्री का प्रमाणपत्र नहीं दे पा रहे हैं। योजना का सही क्रियान्वयन होने के बाद मामला अधिकारियों की हीला-हवाली और फाइलों में उलझा हुआ है। महिला सरपंच को प्रमाणपत्र के लिए ऑफिस और अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। महिला सरपंच ने देश के सामने एक मिसाल पेश की है।