बुजुर्ग लोगों ने 1948 में मुंबई में आए चक्रवात से हुई तबाही को याद किया
मुंबई। चक्रवात 'निसर्ग' से उत्पन्न खतरे के बीच कई वरिष्ठ नागरिकों ने 1948 में मुंबई में आए तूफान से हुई तबाही को याद किया है। तूफान 'निसर्ग' के बुधवार को अलीबाग के पास तट से टकराने की संभावना है। बुजुर्गों ने कहा कि 1948 में आए तूफान से व्यापक तबाही हुई थी। उस समय भीषण बारिश हुई थी और तेज हवाओं से जगह-जगह पेड़ उखड़ गए थे।
वर्तमान में पुणे में रह रहीं सुचेता नादकर्णी (81) उस समय मुंबई के विले पार्ले उपनगर में रहती थीं। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि हमारे इलाके में बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए थे और हमारे बगीचे में लगे पौधे नष्ट हो गए थे। उन्होंने कहा कि उस समय मैं 10 साल की थी। मुझे यह बात इसलिए याद है, क्योंकि मेरी मां अपने द्वारा लगाए गए पौधों के नष्ट हो जाने से बहुत दुखी हुई थीं।
इस संबंध में एक अन्य वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि मुंबई (तत्कालीन बंबई) उस साल 22 नवंबर को भीषण तूफान के बाद पूरी तरह चरमरा गई थी। इसका कहर 20 घंटे तक जारी रहा था। शहर के अनेक हिस्सों में भीषण बारिश की वजह से बाढ़ आ गई थी। अगले दिन 23 नवंबर 1948 के 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर का शीर्षक था- 'चक्रवात से बंबई चरमराई'। अखबार ने लिखा था- '21 नवंबर को सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद तूफान आया'।
इसने अपनी खबर में लिखा था कि शहर में बिजली नहीं है। आकाशवाणी का बंबई स्टेशन प्रभावित हुआ है, टेलीग्राफिक संचार पर असर पड़ा है और परिवहन व्यवस्था भी बाधित हुई है। खबर में कहा गया था कि 1 ही दिन में 7 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए। जनहानि मकानों के गिरने की वजह से हुई और पेड़ों के उखड़ जाने से सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। समुद्र में खड़ी नौकाएं या तो डूब गई हैं या नष्ट हो गई हैं। (भाषा)