बिहार राज्य मंत्रिमंडल ने विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए प्रस्ताव किया पारित
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को बिहार को 'विशेष राज्य' का दर्जा देने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री ने बुधवार को सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार इसे शीघ्र ही विशेष राज्य का दर्जा दे।
उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य में जाति सर्वेक्षण के आलोक में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता नीतीश ने कहा कि देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर कमजोर तबकों के लिए आरक्षण सीमा को 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों
के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा अर्थात इन सभी वर्गों के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाए गए हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार के लिए 2 लाख रुपए तक की राशि किस्तों में उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60,000 रुपए की राशि की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया है। साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जाएगा जिसके लिए प्रति परिवार 1.20 लाख रुपए की दर से राशि उपलब्ध कराई जाएगी। सतत् जीविकोपार्जन योजना के अंतर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब 1 लाख रुपए के बदले 2 लाख रुपए दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपए की राशि व्यय होगी और इन कामों के लिए काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि केंद्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्ष 2010 से ही हो रही है और इस मांग पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितंबर, 2013 में प्रकाशित हुई थी, परन्तु उस समय भी तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta