Last Modified: नई दिल्ली ,
रविवार, 13 जुलाई 2014 (12:34 IST)
पासपोर्ट प्राप्त करना मौलिक अधिकार
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अपने नाम का पासपोर्ट प्राप्त करना और विदेश यात्रा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। उच्च न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ ही 3 बार पासपोर्ट खोने वाले व्यक्ति को पासपोर्ट जारी करने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने विदेश मंत्रालय और संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता ए. विकाश के लिए फिर से पासपोर्ट जारी किया जाए। साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि उसने अपने पासपोर्ट का ध्यान नहीं रखा अत: उसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल को धर्मार्थ 50 हजार रुपए देने चाहिए।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील को सुनने और मुकदमे की फाइल के अवलोकन के बाद इस अदालत का यह मानना है कि विदेश जाना और अपने नाम का पासपोर्ट प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है।
न्यायालय ने कहा कि तदनुसार मौजूदा याचिका और अर्जी स्वीकार की जाती है और प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता को फिर से या विकल्प के रूप में नया पासपोर्ट देने का निर्देश दिया जाता है।
न्यायालय ने कहा कि बताते हैं कि याचिकाकर्ता का भाई भी ऑस्ट्रेलिया में बसा हुआ है। ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता को पासपोर्ट नहीं देने से उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार उसने 3 बार अपना पासपोर्ट खो दिया है और उसे क्षेत्रीय कार्यालय ने चौथी बार पासपोर्ट जारी किया था, लेकिन उसने इसे क्षतिग्रस्त हालत में लौटा दिया।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय में कहा कि उसने जान-बूझकर न तो पासपोर्ट गंवाया है और न ही इसे क्षतिग्रस्त किया है और उसने तो शांतिपूर्ण तरीके से अल्पावधि के लिए कुछ देशों की यात्राएं की हैं।
विदेश मंत्रालय ने याचिकाकर्ता की दलील का विरोध करते हुए कहा कि वह एक कीमती शासकीय दस्तावेज को सुरक्षित रखने में विफल रहा है।
लेकिन न्यायालय ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया, लेकिन अपने पासपोर्ट का उचित ध्यान नहीं रखने के चलते न्यायालय ने विकाश को 50,000 रुपए अस्पताल में धर्मार्थ जमा करने का आदेश दिया। (भाषा)