प्रभु श्रीराम के भाई भरत के बारे में 5 खास बातें
राम के छोटे भाई भरत राजा दशरथ के दूसरे पुत्र थे। उनकी माता कैकयी थी। उनके अन्य भाई थे लक्ष्मण और शत्रुघ्न। आओ जानते हैं भरत के बारे में 5 खास बातें।
1. राजगद्दी संभाली : परंपरा के अनुसार राम को गद्दी पर विराजमान होना था लेकिन मंथरा के भड़काने पर दशरथ पत्नी कैकेयी ने दशरथ में अपने वरदान मांग लिए। वरदान में राम को 14 वर्ष का वनवास और अपने पुत्र भरत को राजसिंहासन देने का वच लिया। भरत ने इसका घोर विरोध किया, लेकिन अंतत: भरत को राजभार सौंपा दिया।
2. नंदीग्राम से शासन : ऐसे में भरत ने संकल्प लिया कि जब तक मेरे बड़े भाई राम वनवास में लौट नहीं आते में अयोध्या में प्रवेश नहीं करुंगा। इसी संकल्प और वचन के चलते भरत ने अयोध्या के पास स्थित नंदीग्राम से राजकाल संभाला और चलाया
3. भरत की पत्नी : मांडवी दशरथ पुत्र भरत की पत्नी थीं। मांडवी राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बेटी थीं। वह एक साध्वी की तरह रहती थी। मांडवी भी नंदीग्राम में रहकर पति के हर कार्य में सहयोग करती थीं। भारत के दो पुत्र थे- तक्ष और पुष्कल।
4. चरण पादुका : दशरथ की मृत्यु के समय राम जब अपने वनवास के दौरान चित्रकूट में थे जब राजा भरत उन्हें लेने गए थे। भारत ने राम से बहुत विनय किया कि आप पुन: घर चले और राज्य संभालें। लेकिन राम ने यह कहकर लौटा दिया की मैं अपने पिता को दिया वचन नहीं तोड़ सकता। भरत द्वारा राम के नहीं आने के बाद उन्होंने राम की चरण पादुका ली और उसे लेकर चले गए। राजा भरत ने सिंहासन पर राम की चरण पादुका रखकर 14 वर्ष तक राज किया।
5. भरत मिलाप : राम और भरत का मिलाप दो बार होता है जो कि बहुत ही चर्चित है। पहला चित्रकूट में और दूसरा नंदीग्राम में। कहते हैं कि विजयादशमी के अगले दिन अर्थात् आश्विन शुक्ल एकादशी को भारत मिलाप उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस आकर अपने छोटे भाई भरत से गले मिलते हैं। इस उत्सव का उल्लेख वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड में दिया गया है।