रामायण काल और महाभारत काल भारत के इतिहास के दो महत्वपूर्ण काल है। रामायण काल को महर्षि वाल्मीकि के अलावा अन्य कई ऋषियों ने भी लिखा है। महाभारत के काल को ऋषि वेदव्यास ने लिखा है। हमने रामायण और महाभारत की घटनाओं की 10 आश्चर्यजनक समानताएं ढूंढी है।
1. दोनों ग्रंथों के नायक : रामायण के नायक प्रभु श्रीराम थे जबकि महाभारत के नायक पांच पांडव थे। पांडवों को यहां नायक मानना इसलिए जरूरी है क्योंकि संपूर्ण महाभारत उन्हीं के आसपास रची गई। श्रीकृष्ण तो उनके सहयोगी थे और उनका नायकत्व अलग ही थे जिसका वर्णन आपको श्रीमद्भागवत गीता में मिलेगा।
रामायण और महाभारत के नायक की समानता यह है कि वे सभी दिव्य पुरुष और अयोनिज थे। भगवान राम का जन्म पुत्रकामेष्ठी यज्ञ से हुआ था जबकि महाभारत के नायक पांडव देवताओं के वरदान स्वरूप जन्मे थे। नायको का जन्म एक रहस्य ही है।
2. दोनों ग्रंथों की नायिका : वाल्मीकि कृत रामायण की नायिका हैं देवी सीता और वेदव्यास कृत महाभारत की नायिका द्रौपदी हैं। इन दोनों के बीच सबसे बड़ी समानता है यह थी कि दोनों को लक्ष्मी का अवतार माना गया। दूसरा यह कि दोनों का जन्म भी अयोनिजा हैं। यानी दोनों ने ही मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया है। देवी सीता भूमि से प्रकट हुई हैं तो द्रौपदी यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न हुई हैं।
3. दोनों काल के युद्ध का कारण : कहते हैं कि दोनों में नायिका के कारण युद्ध हुआ। रामायण में देवी सीता का अपहरण करने के कारण रावण के विरुद्ध युद्ध लड़ा गया, जबकि महाभारत में द्रौपदी के अपमान का बदला लेने के लिए पांडवों ने प्रतिज्ञा ली और अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए युद्ध लड़ा गया। हालांकि महाभारत युद्ध के और भी कारण हैं। दरअसल, राम और रावण का युद्ध माता सीता के अपहरण के कारण हुआ था जबकि महाभारत का युद्ध द्रौपदी के चीरहरण को भी माना गया।
4. 14 वर्ष का वनवास : रामायण काल में प्रभु श्रीराम को कैकेयी और मंथरा के कारण 14 वर्ष के लिए वनवास मिला था, जबकि महाभारत काल में पांडवों को द्युत क्रीड़ा में हारने के बाद 13 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास मिला था।
5. विवाह में समानता : रामायण में प्रभु श्रीरा राम को सीता से विवाह के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना पड़ा थी, लेकिन इस कार्य में धनुष टूट गया था। महाभारत में नायक अर्जुन को द्रौपदी से विवाह करने के लिए धनुष बाण से मछली की आंख को भेदना था। एक ओर जहां यह कार्य पांडवों ने राजमहल से बाहर लक्षागृह से बचने के बाद वन में भटकने के दौरान किया था तो वहीं दूसरी ओर भगवान राम ऋषियों की सहायता के लिए वन में थे।
6.नायिकाओं का हरण : रामायण और महाभारत दोनों में ही नायिका अपने पति के साथ वनवास जाती है। वनवास के दौरान सीता का हरण हो जाता है जबकि दूसरी ओर द्रौपदी के साथ भी ऐसी ही घटना घटती है। जयद्रथ उसका हरण कर ले जाता है, लेकिन पांडव द्रौपदी को अपहरणकर्ता जयद्रथ से बचा लेते हैं।
7. देवताओं के पुत्र : रामायण काल में भी कई ऐसे लोग थे जो कि देववाओं के पुत्र थे। जैसे हनुमनजी पवनदेव के, जामवंत जी अग्निदेव के, बालि इंद्र का पुत्र आदि। उसी तरह महाभारत काल में अर्जुन इंद्र का पुत्र, भीम पवनदेव के पुत्र और धर्मराज के पुत्र युधिष्ठिर थे। पवन देवता के एक पुत्र हनुमान भीम दोनों ही गदा युद्ध में कुशल थे।
8. भाइयों से प्रेम : दोनों महाकाव्य में एक समानता यह भी है कि नायकों की मां अलग अलग थी लेकिन फिर भी सभी भाईयों में आपस में प्रेमपूर्ण संबंध थे और वे सभी भाई अपने बड़े भाई की आज्ञा का पालन करते थे।
9. गीता की तरह दो लोगों का संवाद : रामायण और महाभारत में दो लोगों के संवाद में नीति और धर्म की कई बातों का उल्लेख मिलेगा। जैसे रामायण में शिव और पार्वती संवाद, ऋषि विश्वामित्र और राजा दशरथ संवाद, भरत और कैकेय का संवाद, लक्ष्मण और परशुराम संवाद, अंगद और बालि संवाद, जामवंत और हनुमानजी का संवाद, मंदोदरी और रावण संवाद, हनुमान और रावण संवाद, रावण और विभीषण का संवाद, अंगद और रावण का संवाद, रावण और लक्ष्मण संवाद। इसी तरह महाभातर में श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद, धृतराष्ट्र-संजय संवाद, धृतराष्ट्र-विदुर संवाद ही है विदुर नीति, यक्ष-युद्धिष्ठिर संवाद, भीष्म और युद्धिष्ठिर संवाद आदि।
10. राज्याभिषेक : रावण वध के बाद जब भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ तो धर्म का राज स्थापित हुआ जनता सुख-शांति से जीने लगी। दूसरी ओर जब कुरुक्षेत्र का युद्ध समाप्त हुआ तो युधिष्ठिर राजा बने तब धर्म का साम्राज्य कायम हुआ।