शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. रामायण
  4. भगवान राम की बहन शांता के 2 मंदिर, जहां होती है उनकी पूजा
Written By
Last Updated : मंगलवार, 4 अगस्त 2020 (13:21 IST)

भगवान राम की बहन शांता के 2 मंदिर, जहां होती है उनकी पूजा

Elder Sister Shanta Temple of Lord Rama | भगवान राम की बहन शांता के 2 मंदिर, जहां होती है उनकी पूजा
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर सैंकड़ों वर्षों वर्षों बाद पुन: भव्य राम मंदिर बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त 2020 को इसका भूमि पूजन करेंगे। देशभर में श्री राम के कई प्रसिद्ध मंदिर है लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि प्रभु श्रीराम की बहन के ऐसे दो मंदिर भी है जहां राम की बहन की पूजा होती है। आओ जानते हैं उन्हीं के बारे में।
 
 
राम की बहनें : कहते हैं कि श्रीराम की दो बहनें भी थी एक शांता और दूसरी कुकबी। कुकबी के बारे में ज्यादा उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार राम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के कुछ वर्षों बाद कुछ कारणों से राजा दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को दे दिया था। भगवान राम की बड़ी बहन का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात राम की मौसी थीं। वर्षिणी नि:संतान थीं तथा एक बार अयोध्या में उन्होंने हंसी-हंसी में ही बच्चे की मांग की। दशरथ भी मान गए। रघुकुल का दिया गया वचन निभाने के लिए शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं। शांता वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं और वे अत्यधिक सुंदर भी थीं।
 
 
बड़ी होने पर शांता का विवाह हर्षि विभाण्डक के पुत्र ऋंग ऋषि से हुआ। राजा दशरथ और इनकी तीनों रानियां इस बात को लेकर चिंतित रहती थीं कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा। इनकी चिंता दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ सलाह देते हैं कि आप अपने दामाद ऋंग ऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाएं। इससे पुत्र की प्राप्ति होगी। ऐसा माना जाता है कि ऋंग ऋषि और शांता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बना। सेंगर राजपूत को ऋंगवंशी राजपूत कहा जाता है।
 
 
1. शांता का पहला मंदिर : शांता का पहला मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में है। यह मंदिर कुल्लू से 50 किलोमीटर दूर एक छोटी पहाड़ी पर बान हुआ है जहां पर शांता की पूजा ऋषि श्रंगी के साथ होती है। मान्यता अनुसार यहां पर जो भी दोनों की पूजा करता है उसे प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मंदिर में दशहरे का उत्सव धूमधान से मनाया जाता है। 
 
3. शांता का दूसरा मंदिर : कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रंगी ऋषि और शांता के मंदिर हैं। श्रंगेरी शहर का नाम श्रंगी ऋषि के नाम पर ही है। यहीं उनका जन्म हुआ था। श्रंगी ऋषि कर्नाटक के ही रहने वाले थे अत: केरल और तमिलनाडु के कई क्षत्रों में उनकी मान्यता है।