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Written By WD Feature Desk

Eighth Roza 2024 : खुशहाली का खजाना और पाकीजगी का पैमाना है रोजा

Eighth Roza 2024 : खुशहाली का खजाना और पाकीजगी का पैमाना है रोजा - 8th day of Ramadan
Ramadan 2024 
 
Ramadan day 2024: 'रोजा' रोशनी की लकीर और नेकी की नजीर (मिसाल) है। रमजान का तो हर रोजा खुशहाली का खजाना और पाकीजगी का पैमाना है। रमजान की बरकतों की तहरीर का ये कारवां माशाअल्लाह आठवें रोजे तक पहुंच गया है।

दरअसल, रोजा अल्लाह का अदब भी है और फ़जल की तलब भी है। सबूत के तौर पर इस बात को कुरआने-पाक की आयत के हवाले से बेहतरीन और आसान तरीके से समझा जा सकता है।

पवित्र कुरआन की सूरह अलहश्र की आयत नंबर 18 (अठारह) में बयान है-'और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह को तुम्हारे कामों की ख़बर है।' इस आयत की रोशनी में ये बात नुमाया (स्पष्ट) हो जाती है कि अल्लाह (ईश्वर) वसीअ (सर्वव्याप्त) है और अजीम (महान) और अलीम (जानकार) है।

अल्लाह को चूंकि हर बात की ख़बर है इसलिए बंदे (भक्त) को यह सोचकर कि अल्लाह की नजर उसके हर काम (कार्य) पर है, अल्लाह से डरना चाहिए। अल्लाह से डरना ही अल्लाह का अदब है। 
 
यहां दो बातें खासतौर से समझना जरूरी हैं। यानी किसी का अदब हम दो ही वजहों से करते हैं या तो 'डर' से या 'मोहब्बत' से। अल्लाह (ईश्वर) चूंकि महान और पवित्र (पाकीजा) है इसलिए अजीम (महान) और पाकीजा (पवित्र) से 'डरना' दरअसल 'मोहब्बत' करना ही है। 
 
इसलिए एक रोजादार जब रोजा रखता है तो उसके दिल में ख़ौफ़े-खुदा होता है, जो उसे रोजे के अहकाम और अदब से बाँधता है और चूंकि रोजा अल्लाह का ही रास्ता है। इसलिए रोजा अल्लाह से ख़ौफ़ और मोहब्बत का सबब तो है ही, अल्लाह का अदब भी है।
 
अर्श (आठवां आसमान) से जब अल्लाह के फ़जल की तलब की जाती है तो रहीम और करीम (दयालु-कृपालु) होने की वजह से अल्लाह रोजादार की दुआ सुनता है और मुराद पूरी करता है। किसी ने कहा भी है-'दरे-करीम से बंदे को क्या नहीं मिलता/जो मांगने का तरीक़ा है उस तरह मांगो।'प्रस्तुति : अजहर हाशमी

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