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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 3 अप्रैल 2024 (13:10 IST)

23rd Roza 2024: 23वां रोजा देता है जरूरतमंदों को जकात और सदका देने की सीख

23rd Roza 2024: 23वां रोजा देता है जरूरतमंदों को जकात और सदका देने की सीख - 23rd day of Ramadan 2024
23rd day of Ramadan: रमजान का आखिरी अशरा चूंकि दोजख (नर्क) से निजात (मुक्ति) का है, इसलिए जेहन में यह सवाल उठना बहुत कुदरती बात है कि जहन्नुम (नर्क) की आग से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाएं?
 
इसका जवाब है सच्चे दिल और पाक जज्बे के साथ अल्लाह की इबादत की जाए। लेकिन फिर यह सवाल है कि दिल सच्चा और जज्बा पाक कैसे होगा? इसका जवाब है कि जब अल्लाह तौफीक (प्रेरणा) देगा तो बंदे का दिल सच्चा होगा और जज्बा पाक होगा। 
 
यहां फिर सवाल उठता है कि अल्लाह दिल की सच्चाई और जज्बे की पाकीजगी की तौफीक (प्रेरणा) किसे देगा?
 
इसका जवाब हमें कुरआने-पाक की सूरह 'लैल' की पांचवीं-छठी और सातवीं आयत (अध्याय नंबर-5, 6, 7) में मिलता है। इन आयतों में अल्लाह का इरशाद (आदेश) है-'तो जिसने (खुदा के रास्ते में माल) दिया और परहेजगारी की और नेक बात को सच जाना उसको हम आसान तरीके की तौफीक देंगे।'
 
इन आयतों की रोशनी में जाहिर हो जाता है कि तौफीक देने वाला अल्लाह है और रोजादार के लिए जरूरी है कि अल्लाह की इस तौफीक को पाने के लिए वो जरूरतमंदों को जकात (दान) सदका (पवित्र कमाई की न्योछावर) और ख़ैरात (भिक्षा/मुफ्त में अन्न-वस्त्र वितरण) दें।
 
इसके अलावा परहेजगारी (संयमित और पवित्र आचरण) और नेक बात (शुभ वाणी) को सच तस्लीम करे और जाने भी और माने भी। 
 
ऐसा परहेजगार और नेक रोजादार अल्लाह से तौफीक पाता है एतेकाफ में बैठने की। जैसा कि पहले यानी गुजिश्ता बयान में कहा जा चुका है कि एतेकाफ (मस्जिद में इबादत के लिए गोशानशीं होना यानी किसी कोने में अल्लाह को याद करना) दोजख की आग से निजात के लिए अल्लाह से फरियाद है। अल्लाह फरियाद सुनता है और निजात (मुक्ति) देता है। प्रस्तुति : अजहर हाशमी

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