रक्षा बंधन : मीठे रिश्तों का मोहक पर्व
- सुमित धनराज
भाई-बहन के बीच मोहब्बत और घनिष्ठ रिश्ते को दर्शाता पर्व है रक्षाबंधन। हिंदू धर्म की जड़ों से विशाल वृक्ष की टहनियों-सा फैलता राखी का त्योहार आज देश के कोने-कोने में प्रेम के प्रतीक के रूप में मशहूर है।भाई की कलाई पर बहन द्वारा रेशम धागों से बनी रंगबिरंगी राखी बांधी जाती है। राखी के धागे दर्शाते हैं कि विभिन्नता में एकता होती है। जिस प्रकार एक ही परिवार में कई बच्चों के बीच अलग-अलग स्वभाव होने के बावजूद पारिवारिक प्रेम का अनूठा बंधन होता है, उसी प्रकार एक ही राखी में गूंथे अलग-अलग धागे मजबूती के प्रतीक हैं। यही मजबूती भाई-बहन के रिश्तों में एकता, भाईचारा, प्रेम और सहभागिता को प्रकट करती है।
भाई की कलाई पर राखी बांधकर बहन उससे जीवन भर अपनी रक्षा करने का वचन लेती है और बदले में भाई सदा-सर्वदा मुश्किल और कठिनाई की घड़ी में उसका साथ देने की प्रतिज्ञा लेता है। यहां रक्षा का अर्थ शारीरिक दृष्टिकोण पर ही नहीं टिका हुआ है, बल्कि इधर भावनात्मक और आध्यात्मिक मतलब भी संपूर्णता में उभरते हैं। भाई-बहन के बीच बचपन की चंचलता, जवानी का प्रेम, वयस्कता की समझदारी, भावनाओं का रस और गहरे संबंधों के दरमियान जिंदगी की नींव मजबूत होती है। मोहब्बत के इस आदान-प्रदान में रिश्ते हंसते, मुस्कराते, खिलते और संवरते हैं जिससे एक मीठे घरौंदे का निर्माण होता है। राखी का त्योहार भाई-बहन के इसी प्रेम के मर्म को दर्शाता और समझाता है।