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Written By भाषा
Last Modified: जयपुर (भाषा) , मंगलवार, 25 नवंबर 2008 (12:09 IST)

हत्यारी सरकार है वसुंधरा राजे की

अशोक गहलोत ने लगाया आरोप

हत्यारी सरकार है वसुंधरा राजे की -
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान की सामाजिक समरसता को नेस्तनाबूद कर दिया है।

गहलोत ने कहा कि उन्होंने मीणा और गुर्जरों को आपस में लड़ा दिया है। गुर्जर आन्दोलन के दौरान पुलिस की गोली से हुई 71 लोगों की मौत के बाद इस सरकार के हाथ खून से रंग गए हैं। यह एक हत्यारी सरकार है।

गहलोत ने कल मेवाड़ समेत अन्य कई इलाकों में चुनावी सभाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सामन्तशाही और तानाशाही तरीके से सरकार चलाते हुए मुख्यमंत्री ने राजस्थान को बर्बाद कर दिया है। इस सरकार पर भ्रष्टाचार के जितने आरोप लगे हैं और वह भी सीधे मुख्यमंत्री पर ऐसा राजस्थान के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ।

उन्होंने चुनाव में विकास को मुद्दा बनाए जाने की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि इस सरकार ने विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है। अगर कुछ किया है तो वो है गली-गली में शराब की दुकानें खोलकर प्रदेश की संस्कृति को बिगाड़ने का काम। आज जगह-जगह खुली शराब की इन दुकानों से युवा पीढ़ी पर भी गलत असर पड़ रहा है जो गंभीर चिंता का विषय है।

मुख्यमंत्री का यह कहना है कि उनकी योजना शराब नीति से पैसा कमाकर बच्चों को दूध मुहैया कराने की थी। उन्होंने इस बयान पर कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक बात कोई हो नहीं सकती कि शराब के सहारे आमदनी बढ़ाने की बात कही गई। ये अलग बात है कि प्रदेश के बच्चों को दूध तो फिर भी नहीं मिला क्योंकि कमाई के पैसे उनके पिताओं ने शराब में खर्च कर दिए।

गहलोत ने कहा कि हमने पिछली बार संवेदनशीलता, जवाबदेही एवं पारदर्शिता का नारा दिया था और आज भी उस पर कायम हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, वर्तमान सांसद और पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल द्वारा पार्टी के अध्यक्ष राजनाथसिंह की मौजूदगी में राजे पर लगाए गए उस आरोप का जवाब क्यों नहीं देतीं कि उन्होंने पाँच हजार करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आज तक न तो इस आरोप का खण्डन किया और न ही मेघवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई की। यही नहीं काबीना मंत्री घनश्याम तिवाड़ी और नरपतसिंह राजवी जैसे मंत्रियों ने भी मुख्यमंत्री पर फैसलों में पारदर्शिता नहीं रखने का आरोप लगाया है। यह गंभीर आरोप है इसके मायने हैं कि मुख्यमंत्री ईमानदार नहीं हैं। उन पर यह आरोप भी लगाया गया कि वे किसी मुद्दे पर कैबिनेट में फैसला लेने की जगह स्वयं ही फैसले करती हैं।