राजनीतिक प्रेक्षकों और मतदाताओं का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प की संभावना नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी और कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. रघु शर्मा ने भी राजनीतिक प्रेक्षकों और मतदाताओं के आकलन के कुछ हिस्से को स्वीकार करते हुए कहा कि यह सही है कि राजस्थान में तीसरे मोर्चे का विकल्प सोचना ही बेमानी है। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही चुनावी जंग होगी। राजस्थान में तीसरा मोर्चे का भविष्य नहीं है।
फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड के उपाध्यक्ष कमल कंदोई का मत है कि राजस्थान में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अलावा तीसरे मोर्चे की बात सोचना ही निरर्थक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान तीसरे मोर्चे की स्थिति देख चुका है जब भारतीय जनता पार्टी ने जनता दल के साथ तालमेल करके सरकार बनाई लेकिन कुछ दिनों बाद ही यह मोर्चा खत्म हो गया।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि जब केन्द्र में ही तीसरा मोर्चा कामयाब नहीं हो रहा है तो राजस्थान में कहाँ सफल होगा। क्षेत्रीय पार्टियों का कुछ असर बढ़ा था, लेकिन उनकी करनी और कथनी में भी अंतर होने के कारण उनका असर भी अब धीरे-धीरे खत्म होने की ओर बढ़ रहा है।
राजस्थान सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारी केएस सिंघल का कहना है कि राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस दो ही पार्टियाँ हैं। अन्य पार्टियों का अस्तित्व कभी-कभार एक दो सीटों पर उत्तरप्रदेश से लगते राजस्थान विधानसभा की सीटों पर जरूर नजर आता है। राजस्थान में तीसरे मोर्चे के मजबूत होने की संभावना नहीं के बराबर है।
कमल कंदोई का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी अपने फायदे के लिए मतों का ध्रुवीकरण करने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार देते हैं या फिर किसी पार्टी से आंतरिक गठजोड़ करने से भी नहीं चूकते। उन्होंने कहा कि जब राज्यसभा चुनाव में आंतरिक गठजोड़ हो जाते हैं तो यह तो विधानसभा चुनाव है। पूँजीवादी लोग प्रमुख राजनीतिक पार्टियों को आकर्षित कर सरकार गठित होने पर अपना रुतबा दिखाने के मकसद से भी तीसरे मोर्च का बेजा इस्तमाल करने से नहीं चूकते।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव मंडल के सदस्य रवीन्द्र शुक्ला का मानना है कि राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देश में तीसरे विकल्प का चुनाव से लेना-देना नहीं होता। तीसरे विकल्प का गठन जनसंघर्ष के माध्यम से होता है। चुनाव के दौरान जनसंघर्ष नहीं होकर, सत्ता संघर्ष होता है इसलिए तीसरे विकल्प की बात सोचना ही बेईमानी है। भाजपा और कांग्रेस की समान नीतियाँ और आर्थिक नीतियाँ एक होने के कारण राजस्थान में इनके बीच ही मुकाबला होता रहा है।
शुक्ला का कहना है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान तीसरे मोर्चे की बात सीट बँटवारे के लिए है जबकि तीसरा मोर्चा अलग होता है जहाँ सबके बीच समान विचारधारा पर लोग एक बैनर पर जनसंघर्ष करते हैं। तीसरे विकल्प का गठन केवल सत्ता प्राप्ति के लिए करते हैं जनसंघर्ष के लिए नहीं।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय देश के समक्ष दो ही विकल्प हैं। कई बार राजनीतिक दल साथ-साथ भी आए हैं लेकिन इनमें टूट-फूट होती रहती है। राजस्थान में इसकी संभावना नाममात्र भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने निर्णय किया है कि समान नीतियों वाली भाजपा और कांग्रेस को शिकस्त देने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी या बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन देंगे।
भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि राजस्थान में तीसरे विकल्प के बारे में सोचना निरर्थक है। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ही दो पार्टियाँ हैं। तीसरी पार्टी का जनाधार नहीं के बराबर है या कुछ क्षेत्र तक सीमित है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के अनुसार राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होगा।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. रधु शर्मा ने कहा राजस्थान में तीसरे राजनीतिक दल चुनाव को छोड़कर कहाँ नजर आते हैं। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा ही प्रमुख दल हैं। विधानसभा चुनाव में दोनों के बीच ही मुकाबला होगा यह तय है।
दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी ने राजस्थान की सभी दो सौ सीटों पर चुनाव लड़कर सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भमिका निभाने का दावा किया है। बसपा के प्रदेश प्रभारी अशोक धर्मवीर दावा करते हैं कि मतदाता कांग्रेस और भाजपा से तंग आकर बसपा की सरकार बनाना चाहते हैं। चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे। बसपा की सरकार बनेगी या सरकार बनाने में बसपा का महत्वपूर्ण योगदान होगा। राजस्थान के मतदाता अब तीसरे विकल्प को ही मौका देंगे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने भी राज्य की सभी दो सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए दावा किया कि सपा राजस्थान में खाता खोलेगी।
लोजशपा के मौजूदा विधायक रणवीर सिंह गुढा ने दावा किया कि लोक जनशक्ति पार्टी के सहयोग से ही सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी सौ से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है और कई स्थानों पर उनके प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने सरकार बनाने या सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का दावा नहीं किया है। वामदलों तथा जनता दल यू के प्रतिनिधियों का कहना है कि हम जिन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं वहाँ हमें सफलता मिलेगी।
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो चुनावी मौसम में बने राजस्थान तीसरा मोर्चा गठबंधन, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी समेत अन्य कई क्षेत्रीय या जातिवादी गठबंधनों द्वारा सरकार बनाने में भूमिका के दावे खोखले साबित होंगे। चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही होगा यह तय है।